मणिपुर विवाद के चलते संसद में हो रहे भारी हंगामें के बीच लोकसभा ने जन विश्वास विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 जुलाई को इस विधेयक को मंजूरी दी थी। जिसके बाद 27 जुलाई को लोकसभा में भी जन विश्वास विधेयक पारित हो गया। अब ये राज्यसभा में भेजा जाएगा। इस विधेयक के साथ साथ लोकसभा ने 76 पुराने और अप्रचलित कानूनों को भी निरस्त करने के लिए निरसन एवं संशोधन विधेयक 2022 को भी मंजूरी दे दी।
संसद के मानसून सत्र में जन विश्वास विधेयक 2023 ,ध्वनि मत से पारित हो गया है। इस विधेयक के अंतर्गत कई तरह अपराधों में मिलनी वाली सजा के प्रावधानों को या तो पूरी तरह खत्म किया गया है या फिर सजा के सीमा को कम कर दिया गया है। कई कानूनों में तो जेल की सजा को हटा दिया गया है। विधेयक के द्वारा कुल 42 कानून के 180 अपराधों को अपराधों की श्रेणी से हटाया गया है। इन अपराधों के लिए अब सजा के प्रावधान को सीमित या खत्म कर दिया गया है। इनमें पर्यावरण, कृषि, मीडिया, उद्योग, व्यापार, प्रकाशन आदि के साथ कई अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं।
विधेयक के पीछे का उद्देश्य है कि भारत में चल रहे व्यापार में सहजता हो सके। फिलहाल देश में व्यापार करने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है। इन अनिवार्य नियमों का उल्लंघन होने पर भारी जुर्माना के साथ साथ जेल का प्रावधान है। जो लघु उद्योग में शामिल व्यापारियों को व्यापार के लिए काफ़ी मशक्कत करनी पड़ती है। फिलहाल देश में 1,536 कानून है जिनमें 70 हजार प्रावधान है। जो भारत में व्यापार करने वालों पर लागू होते हैं। ऐसा माना गया है कि ये नियम खासकर एमएसएमई सेक्टर के लिए विकास में बाधा बन रहे हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक बिजनेस चलाने के लिए लागू हुए 69,233 खास नियमों में से करीब 26,134 में जेल या सजा का प्रावधान है। इन नियमों के अनुसार और इनमें मिलने वाली सजा की वजह से देश में व्यापार करना कठिन है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जहां 150 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। जिनको 500 से 900 नियमों से तो अनिवार्य रूप से जूझना होता है। इन कानूनों में लगभग 12 से 18 लाख रुपयों जुर्माने का खर्च आ रहा है। जबकि हर पांच में से 2 नियमों में जेल की सजा का प्रावधान है।
विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ” पुराने कानूनों को निरस्त करना सरकार के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसके तहत आम लोगों के लिए व्यापार करने में लोगों को आसानी होगी तथा लघु उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। केन्द्र सरकार ने अब तक 1,486 कानूनों को निरस्त कर चुकी है। और इस विधेयक के बाद निरस्त कानूनों की संख्या 1,562 हो गई।