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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हुआ वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023…अब 100 किलोमीटर तक की भूमि को मिलेगी कानूनी छूट।

by Gautam Jha
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लोकसभा के बाद राज्यसभा (उच्य सदन) में भी संक्षिप्त बहस के बाद वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 पास हो गया । विधेयक पारित होने के बाद अब देश की सीमाओं के 100 किलोमीटर के भीतर की भूमि को यह विधेयक संरक्षण कानूनों के दायरे से बाहर रखेगा। यह कानून वन क्षेत्रों में चिड़ियाघर, जंगल सफारी और पर्यावरण-पर्यटन से जुड़ी अन्य सुविधाओं की स्थापना की अनुमति देता है। लोकसभा में 26 जुलाई को विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि यह संसोधन विधेयक सीमा कुछ विशेष भूमि को छूट देता है जिसमें रेल लाइन , सरकार द्वारा बनाए गए सार्वजनिक सड़क के किनारे वन भूमि , किसी बस्ती तक पहुंचने का मार्ग , इसके साथ साथ अधिकतम 0.10 हेक्टेयर के आकार तक रेल तथा सड़क के किनारे की भूमि आदि। इसके आलवे छूट प्राप्त वन भूमि में अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं, नियंत्रण रेखा, वास्तविक नियंत्रण रेखा के 100 किलोमीटर के भीतर स्थित भूमि भी शामिल है। मंत्री ने विधेयक पर बोलते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रणनीतिक रैखिक परियोजनाओं के निर्माण के लिए इन भूमि क्षेत्रों का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ साथ विधेयक में सुरक्षा संबंधी अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 10 हेक्टेयर तक की भूमि, रक्षा संबंधी परियोजनाओं तथा अर्धसैनिक बलों के शिविर एवं सार्वजनिक उपयोग के परियोजनाओं के लिए उपयोग की जाने वाली पहले से प्रस्तावित भूमि को भी छूट दी गई है।

 

वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 में लागू किया गया था । यह अधिनियम औद्योगीकरण की प्रक्रिया को विनियमित करने और ऐसे औद्योगिक दोहन पर हर्जाना लगाने के लिए सरकार को अधिकार देता है। 1996 में अधिसूचित वनों से जुड़े टी.एन. गोदावर्मन थिरुमलपाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले ने सुरक्षा का दायरा उन वनों के लिए भी बढ़ा दिया गया था जिन्हें आधिकारिक तौर पर वर्गीकृत नहीं किया गया था। कोर्ट के फैसले के फैसले मे कहा गया कि देश भर में पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगया जाएगा और वन संरक्षण अधिनियम उन सभी भूखंडों पर भी लागू होगा जो या तो ‘वन’ के रूप में पहले दर्ज है या फिर शब्दकोश द्वारा परिभाषित वन के अर्थ से मिलते जुलते है। पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 से लेकर 2021 के दौरान भारत में करीब 1,540 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र का समावेश किया गया जिसमें से 1,509 वर्ग किलोमीटर का इलाका पहले से दर्ज वन क्षेत्र के बाहर था।

 

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 लोकसभा और राज्यसभा में पेश करने का उदेश्य वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाना है। यह अधिनियम भारत में वनों के संरक्षण के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्रीय कानून है। अधिनियम के पीछे मुख्य उदेश्य था कि आजादी के बाद भारत में वन भूमि के विशाल क्षेत्रों को आरक्षित और संरक्षित करना । इसके साथ साथ विधेयक का उदेश्य अधिनियम का दायरा को बढ़ाना, कानून में छूट प्रदान करना, विकास के लिये नए प्रावधान , नवीन वानिकी गतिविधियाँ, जलवायु परिवर्तन शमन एवं संरक्षण के साथ साथ स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना मकसद है।

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