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‘कांतारा’ के लिए विशेष जूरी पुरस्कार

by satat chhattisgarh
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Special Jury Award for 'Kantara'

फिल्म महोत्सव में ऋषभ शेट्टी को ‘कांतारा’ के लिए सम्मान

54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में विख्‍यात भारतीय फिल्मकार, अभिनेता और लेखक ऋषभ शेट्टी को ‘कांतारा’ पर उनके बेमिसाल कार्य के लिए विशेष जूरी पुरस्कार सम्‍मानित किया गया। महोत्सव के समापन समारोह के रोमांचकारी वातावरण में कांतारा का प्रीक्वल-कांतारा, चैप्टर-1 के फर्स्ट-लुक ट्रेलर का अनावरण किया गया, जिसका मंत्रमुग्ध दर्शकों ने गर्मजोशी से स्‍वागत किया।

Special Jury Award for 'Kantara'

जितना कम बोलाता, सफलता उतनी ही अधिक होगी

महोत्सव में शेट्टी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, “इतने प्रतिष्ठित मंच पर मिले स्‍नेह और सम्मान से मैं कृतज्ञ हूं।” अपने फिल्म निर्माण दर्शन को साझा करते हुए शेट्टी ने कहा, “मैं अपनी फिल्मों को स्‍वयं को अभिव्‍यक्‍त करने देने में विश्वास करता हूं; जितना कम बोला जाए, सफलता उतनी ही अधिक होगी।” ‘कांतारा’ से दर्शक जिस प्रकार जुड़ रहे हैं, उससे फिल्‍म के शिल्प के प्रति उनकी विनम्रता और समर्पण जाहिर होता है।

 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का रंगारंग समापन

भारतीय सिनेमा के वैश्विक विस्तार का उल्‍लेख करते हुए शेट्टी ने जोर देकर कहा, “भारतीय सिनेमा वास्तव में वैश्विक हो गया है। यह भारत से सृजित होने वाली बेमिसाल सामग्री का प्रत्यक्ष परिणाम है।”

Special Jury Award for 'Kantara'

कन्नड़ सिनेमा की सार्वभौमिक अपील का उल्‍लेख करते हुए, शेट्टी ने भाषाई बाधाओं को पार करने की इसकी क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने ‘कांतारा’ को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया को इस समावेशिता का प्रमाण बताया। शेट्टी ने कहा, “मेरी फिल्में उन कहानियों और भावनाओं का विस्तार हैं जो व्यक्तियों के रूप में हमें बांधती हैं।”

क्या यह समय विश्व सिनेमा का है?

जूरी द्वारा शेट्टी की निर्देशन विशेषज्ञता को मान्यता देने से उन कहानियों को व्यक्त करने की उनकी क्षमता को रेखांकित होती है, जो स्वदेशी संस्कृति में निहित होने के बावजूद, सांस्कृतिक और सामाजिक सीमाओं को पार कर सार्वभौमिक रूप से प्रतिध्‍वनित होती है।

कांतारा‘ परंपरा और आधुनिकता के टकराव के बीच सशक्‍त संदेश देते हुए एक काल्पनिक गांव के भीतर मानवता और प्रकृति के बीच वैचारिक संघर्ष की पड़ताल करती है।

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