मुख्यमंत्री ने विधानसभा में की घोषणा
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन से संबंधित अन्य स्वीकृतियां देने की प्रक्रिया को फिर से ऑनलाइन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खनिज प्रशासन में पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था तथा सुशासन की दृष्टि से इन प्रक्रियाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आज विधानसभा में ध्यानाकर्षण का जवाब देते हुए यह घोषणा की.
ई-परमिट का भौतिक सत्यापन करने के बाद ही ई-परमिट जारी किया जाये
मुख्यमंत्री श्री साय ने ध्यानाकर्षण सूचना का जवाब देते हुए कहा कि पिछली सरकार में खनिज विभाग के संचालक ने 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया था कि ई-परमिट का भौतिक सत्यापन करने के बाद ही ई-परमिट जारी किया जाये. जिले के खनिज अमले द्वारा। ट्रांजिट पास जारी किया जा सकता है. इस आदेश के जरिए पहले की ऑनलाइन प्रक्रिया को बंद कर ऑफलाइन कर दिया गया. जिसके चलते प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप शुरू हुआ,
भ्रष्टाचार के आरोप लगे और परिवहन में भी देरी हुई
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि खनिज विभाग में पूर्व में लागू ऑनलाइन व्यवस्था के तहत पट्टाधारक खनिज कार्यालय आये बिना ही खनिज ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कोयला परिवहन हेतु अपने कार्यालय से ई-परमिट एवं ई-ट्रांजिट पास स्वतः प्राप्त कर सकता है। ले जाया जा रहा था. पिछली सरकार में नई ऑफ़लाइन प्रक्रिया लागू होने के कारण ई-टीपी के कार्यान्वयन में देरी हुई और कई कोयला खदानों में निकासी अवरुद्ध होने से रॉयल्टी राजस्व का नुकसान हुआ, जिस पर भारत सरकार ने भी राज्य सरकार को दो बार पत्र जारी कर आपत्ति ली। था। इसके अलावा मानवीय हस्तक्षेप की शुरुआत ने अवैध वसूली और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और राज्य की छवि को धूमिल किया।
ऑफलाइन व्यवस्था से संबंधित आदेश रद्द
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विभिन्न संस्थानों ने लगातार ऑफलाइन व्यवस्था से संबंधित आदेश को रद्द करने की मांग की है और अवैध लेनदेन और जबरन वसूली के आरोप भी लगाए हैं. इसी क्रम में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच के बाद सक्षम न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया है, जो विचाराधीन है. साथ ही भ्रष्टाचार के मामले में निदेशालय ने एंटी करप्शन ब्यूरो में मामला दर्ज कराया है, जिसकी जांच चल रही है. उन्होंने कोयला परिवहन में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था एवं सुशासन को ध्यान में रखते हुए खनिज विभाग द्वारा 15 जुलाई 2020 को जारी परिपत्र एवं उसके अनुक्रम में जारी अन्य सभी संबंधित निर्देशों को निरस्त करने की घोषणा की।