भारतीय व्यापार परिसंघ (आईसीसी) की पहल- ‘रचनात्मक अथव्यवस्था पर अखिल भारतीय पहल’ (एआईआईसीई) की शुरुआत की
Artificial Intelligence : आज एक कार्यक्रम में ‘रचनात्मक अथव्यवस्था पर अखिल भारतीय पहल’ (एआईआईसीई) के शुभारंभ पर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने एक ऐसे मंच की संकल्पना के लिए भारतीय व्यापार परिसंघ (आईसीसी) को बधाई दी, जहां भारत के रचनात्मक उद्योग एक साथ आकर रचनात्मक अर्थव्यवस्था से संबंधित विभिन्न मामलों पर सहयोग कर सकते हैं।
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) जिसने विश्व स्तर पर रचनात्मक अर्थव्यवस्था (क्रिएटिव इकोनॉमी) को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, के साथ अपने जुड़ाव पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इसकी ‘क्रिएटिव इकोनॉमी आउटलुक 2024’ रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस बात पर बल दिया कि रचनात्मक अर्थव्यवस्था प्रतिवर्ष 02 खरब (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर का राजस्व उत्पन्न करती और दुनिया भर में लगभग 5 करोड़ नौकरियों के लिए जिम्मेदार है।
श्री पुरी ने कहा कि, भारत में रचनात्मक उद्योग अब 30 अरब डॉलर का उद्योग है और यह भारत की लगभग 8 प्रतिशत कामकाजी आबादी के रोजगार के लिए उत्तरदायी है। उन्होंने कहा कि अकेले पिछले वर्ष रचनात्मक निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे 11 अरब डॉलर से अधिक का उत्पादन हुआ है तथा आने वाले वर्षों में उद्योग में उल्लेखनीय वृद्धि देखने की सम्भावना है।
श्री पुरी ने कहा कि भारतीयों, विशेष रूप से युवाओं की बढ़ती संख्या का यह मानना है कि रचनात्मक उद्योग अधिक आकर्षक होने के साथ-साथ करियर सुरक्षा भी प्रदान करते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह हमारे रचनात्मक निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन कारक है।
उन्होंने भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था में बॉलीवुड और अन्य स्थानीय फिल्म उद्योगों की भूमिका को भी स्वीकार किया, और इस बात पर प्रकाश डाला कि मुंबई फिल्म उद्योग (बॉलीवुड) भारत के सबसे प्रसिद्ध सॉफ्ट पावर निर्यातों में से एक है।
विभिन्न रचनात्मक उद्योगों की प्रतिष्ठित हस्तियों की सभा को संबोधित करते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने भारत में सामग्री निर्माण की विकास क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ”भारत ‘विश्व कि विषयवस्तु राजधानी’ बन गया है। 2023 में, भारत में 10 करोड़ से अधिक विषयवस्तु निर्माता (कंटेंट क्रिएटर्स) थे। उन्होंने आगे कहा कि “हमारे पास विश्व में सबसे बड़ा सोशल मीडिया उपयोगकर्ता आधार है; कुछ सबसे तेजी से बढ़ते सोशल मीडिया नेटवर्क का उपयोगकर्ता आधार भारत में है।”
मंत्री महोदय ने शहरी स्थानों की जीवंतता के बारे में बात की जिससे रचनात्मक अर्थव्यवस्था और भी समृद्ध होगी। भारतीय शहरी क्षेत्रों में सामग्री निर्माण और रचनात्मक अर्थव्यवस्था की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि रचनात्मक उद्योग, जो कभी लगभग विशेष रूप से टियर-1 शहरों में आधारित थे और कई महत्वाकांक्षी रचनात्मक कलाकारों के लिए बहिष्करणीय माने जाते थे, अब टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी फल-फूल रहे हैं।
अपने संबोधन में, श्री पुरी ने रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर डिजिटलीकरण के गहरे प्रभाव पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी तकनीकी प्रगति ने विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला दी है।
इस परिवर्तन का एक उल्लेखनीय पहलू कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की भूमिका है। श्री पुरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एआई का उपयोग समाचार कक्षों में तेजी से किया जा रहा है, 41 प्रतिशत समाचार टीमें इसे चित्रण कला बनाने के लिए, 39 प्रतिशत सोशल मीडिया सामग्री के लिए, और 38 प्रतिशत लेख लिखने और तैयार करने के लिए इसका उपयोग कर रही हैं।
श्री पुरी ने उन रचनात्मक पेशेवरों को जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अपने अस्तित्व के लिए खतरा होने के डर से आशंका के साथ देखते थे,यह कह कर आश्वस्त किया कि एआई एक जबरदस्त अवसर का भी प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि “एआई ऐसा कोई खतरा नहीं है।” “इसके उलट यह लागत कम करने, राजस्व धाराओं का विस्तार करने, व्यापक दर्शकों तक पहुंचने और पहले की पहुंच से बाहर जाकर बाजारों तक पहुंचने का अवसर प्रभी दान करता है।”
श्री पुरी ने विशेष रूप से गलत सूचना, कॉपीराइट, बौद्धिक संपदा (आईपी), गोपनीयता और बाजार एकाधिकार से संबंधित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा प्रस्तुत कि जा रही चुनौतियों को स्वीकार कियाI साथ ही उन्होंने इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए एक मजबूत नियामक ढांचे की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने आगे कहा कि “सरकार ऐसी नीतियों को डिजाइन करने और लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है जो बौद्धिक संपदा की रक्षा करने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी बाजार भी सुनिश्चित करेगी।”
श्री पुरी ने इन चुनौतियों का समाधान करने और विभिन्न उभरते विकास मानकों द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठाने के लिए उद्योग हितधारकों और सरकार के बीच बातचीत के महत्व को रेखांकित करते हुए अपने संबोधन का समापन किया। उन्होंने कहा कि ‘रचनात्मक अथव्यवस्था पर अखिल भारतीय पहल’ (एआईआईसीई) जैसा मंच इन वार्तालापों को आगे बढ़ाने और रचनात्मक अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए आदर्श है – और एक ऐसा एक ऐसा स्थान है जिसके लिए उन्होंने दोहराया कि “सर्वश्रेष्ठ अभी आना शेष है।”