कारवां -अनिरुद्ध दुबे

पुराने चावल को भी पकाना ज़रूरी

राजधानी रायपुर में भाजपा के आरोप पत्र जारी होने का आयोजन जिस तरह फ़ीका रहा था, कुछ ऐसी ही तस्वीर दंतेवाड़ा में तब देखने मिली जब एक सभा के बाद परिवर्तन यात्रा वहां से रवाना हुई। परिवर्तन यात्रा वाली इस सभा में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह आने वाले थे लेकिन मौसम की ख़राबी के कारण नहीं आ पाए। फिर यह ख़बर आई कि अमित शाह की जगह केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सभा लेने व यात्रा को हरी झंडी दिखाने आ रही हैं। स्मृति ईरानी जगदलपुर तक आ भी चुकी थीं, लेकिन चिंता इस बात की थी कि जो भीड़ इकट्ठी है उसे देर तक रोक पाना बड़ा मुश्किल था।

यही कारण है डॉ. रमन सिंह एवं बृजमोहन अग्रवाल जैसे प्रदेश के ही बड़े नेताओं ने अपना संबोधन दिया और यात्रा रवाना हो गई। बस्तर की यात्रा की कमज़ोर शुरुआत को लेकर भाजपा में अपने-अपने स्तर पर समीक्षा का दौर जारी है। अभी जब चुनाव की घड़ी नज़दीक है पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, ओ.पी. चौधरी, केदार कश्यप, सौरभ सिंह एवं विजय शर्मा को दिल्ली के नेताओं से काफ़ी महत्व मिल रहा है। वहीं पार्टी में अंदरुनी तौर पर इस बात की भी चर्चा छिड़ी हुई है कि बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पांडे, अजय चंद्राकर एवं राजेश मूणत जैसे वजनदार नेताओं का जैसा उपयोग होना चाहिए वैसा नहीं हो पा रहा है। फिर बृजमोहन अग्रवाल एवं राजेश मूणत तो रायपुर के हैं। गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में दीनदयाल ऑडिटोरियम में घोषणा पत्र जारी होने वाले आयोजन से पहले यदि इन दोनों नेताओं से शायद बातचीत हो गई रही होती तो ऑडिटोरियम खचाखच हो गया होता, जो कि नहीं हो पाया। बृजमोहन अग्रवाल एवं प्रेमप्रकाश पांडे छत्तीसगढ़ सरकार बनने से पहले मध्यप्रदेश के जमाने में मंत्री होने का गौरव प्राप्त कर चुके थे। उसी दौर में राजेश मूणत संगठन से जुड़े रहकर पार्टी को मजबूत करने में लगे रहे थे। 2003 में भाजपा की सरकार बनी तो बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर एवं राजेश मूणत मंत्री बने। प्रशासनिक स्तर पर आज भी इन नेताओं की जबरदस्त पकड़ है। आला अफ़सर आज भी इनकी सुनते हैं। यानी ये पुराने नेता आज भी पार्टी को तन, मन एवं धन से सहयोग कर पाने की पूरी स्थिति में हैं। इनका इस्तेमाल कैसा करना है यह पार्टी को सोचना है।

ये चुनाव लड़ेंगे तो लड़वाएगा कौन…

किसी भी चुनाव के समय भाजपा में संगठन की भूमिका बेहद अहम् हो जाती है। अब तक तो माना यही जाता रहा था कि भाजपा संगठन में अहम् पदों पर जो लोग बैठे होते हैं वे चुनाव लड़ते नहीं बल्कि लड़वाते हैं। लोग 2003 के दौर को याद करते हैं जब डॉ. रमन सिंह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे। वे चुनाव नहीं लड़े थे, बल्कि पूरे प्रदेश की कमान सम्हाले हुए थे। 2003 में जब भाजपा को बहुमत मिला और डॉ. रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया, उसके बाद ही उन्होंने डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र से उप चुनाव लड़ा था। उस दौर में लखीराम अग्रवाल, बलीराम कश्यप, रमेश बैस एवं ताराचंद साहू जैसे नामचीन नेता थे और इनमें से कोई भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। अब वर्तमान में आते हैं। चर्चा तो यही है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथा सांसद अरुण साव बिलासपुर या लोरमी में से कोई एक सीट, प्रदेश महामंत्रीगण केदार कश्यप नारायणपुर, ओ.पी.चौधरी रायगढ़ एवं विजय शर्मा कवर्धा से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। यदि संगठन के प्रमुख नेता सीधे तौर पर चुनावी मैदान में आ जाते हैं तो बाक़ी स्थानों पर प्रत्याशियों को जितवाने का काम कौन करेगा यह सवाल पार्टी के भीतर बहुतेरे लोग एक-दूसरे से करते नज़र आ रहे हैं।

अलग हटकर रहा पीएम का भाषण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रायगढ़ में सभा ली। वैसे देखा जाए तो उनका संबोधन दो जगह हुआ। पहला रेल परियोजनाओं के लोकार्पण अवसर पर तथा उसके कुछ मिनटों बाद आमसभा स्थल पर। जो लोग अब तक नरेन्द्र मोदी को लगातार छत्तीसगढ़ में सुनते आए हैं उनका मानना है कि मोदी जी के इस बार का भाषण अब तक प्रदेश में हुए सभी भाषणों से अलग हटकर था। सरकारी कार्यक्रम में उनका जो पहला भाषण हुआ उसमें उन्होंने बहुत बड़ी बात यह कही कि देश के विकास में छत्तीसगढ़ ‘पॉवर हाउस’ की तरह है। इस तरह उन्होंने छत्तीसगढ़ की उपयोगिता प्रतिपादित कर दी। फिर दूसरी वाली आमसभा में उन्होंने कितने ही तथ्य सामने रखे और कितने ही उदाहरण दिए। हालांकि ‘जी 20’ में छत्तीसगढ़ की बड़ी भागेदारी रही, यह लाइन कहकर वे एक जगह पर चूके भी। इसलिए कि, अभी तो ‘जी 20’ नया रायपुर में होना बाकी है। मोदी जी ने भाषण में कोदो, कुटकी, रागी का उल्लेख किया जिसका कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार उल्लेख करते आए हैं। मोदी जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है और यहां माता कौशल्या का भव्य मंदिर है। इस दिशा में तो भूपेश सरकार पहले से काम करती आ रही है। मोदी जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों का पक्का मकान नहीं बनने दे रही। प्रधानमंत्री शराब और गोबर पर भी बोलने से नहीं चूके। चूंकि छत्तीसगढ़ में कबीर व रविदास मानने वालों की बहुतायत है जिसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने इन दोनों महान संतों का तो उल्लेख किया ही, साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्यामलाल सोम को याद किया। अपने भाषण में जहां इंदिरा गांधी के शासनकाल का उल्लेख करने से वे पीछे नहीं रहे वहीं ‘इंडिया’ व ‘सनातन’ पर इन दिनों लगातार जो वाद-विवाद चल रहा है उसका भी व्यंग्यात्मक लहज़े में जिक्र कर गए। ‘जी 20’ में भारत के बढ़े कद एवं चंद्रयान की सफलता का उल्लेख उन्होंने जोर देते हुए किया। रायपुर में गृह मंत्री अमित शाह व्दारा आरोप पत्र प्रस्तुत करने व दंतेवाड़ा में परिवर्तन यात्रा निकलने से पहले हुई सभा में रही कम उपस्थिति को लेकर भाजपा के भीतर जो निराशा का कोहरा छाया हुआ था वह काफ़ी हद तक मोदी जी की इस सभा के बाद छंटते नज़र आया।

चुनाव और कलाकार

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में एक ही समय में विधानसभा चुनाव होना है। राजस्थान को लेकर छनकर यही ख़बर आ रही है कि वहां कांग्रेस 65 प्रतिशत नये चेहरे उतारने की तैयारी कर रही है। सर्वे में छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी कुछ मंत्रियों और विधायकों की रिपोर्ट कमजोर मिली है। टिकट को लेकर कांग्रेस ने राजस्थान में जो मापदंड तैयार किए हैं उनमें एक प्रमुख बिन्दू है कमजोर सीटों पर कलाकारों व खिलाड़ियों को चुनावी मैदान में उतारा जाए। अब छत्तीसगढ़ की बात करें। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में तीन कलाकारों दिलीप लहरिया (मस्तूरी), गोरेलाल बर्मन (पामगढ़) एवं कुंवर सिंह निषाद (गुंडरदेही) को चुनावी मैदान में उतारा था। इनमें से कुंवर सिंह निषाद जीते बाकी दिलीप लहरिया व गोरेलाल बर्मन हार गए। उस पर भी लहरिया की स्थिति तीसरे स्थान पर थी। वहीं बर्मन को दूसरी बार चुनाव लड़ने का मौका दिया गया था।

बड़ी खबर

बर्मन का बेडलक रहा कि दोनों ही बार चुनावी मैदान में मात खानी पड़ी। इस तरह एक बात साफ नज़र आ रही है कि राजस्थान का कलाकार एवं खिलाड़ियों वाला फार्मूला अभी की स्थिति में छत्तीसगढ़ में लागू हो पाना मुश्किल है। यह अलग बात है कि कुंवर निषाद एक बार फिर चुनावी मैदान में दिख जाएं। अब बात करें भाजपा की तो वहां कलाकारों वाली जगह पर अनुज शर्मा, उषा बारले, मोना सेन एवं राजेश अवस्थी जैसे नाम हैं। उसमें भी अनुज शर्मा व उषा बारले का नाम टिकट के लिए चला हुआ है। छत्तीसगढ़ में कलाकारों के मामले में कांग्रेस की तुलना में भाजपा ज़्यादा समृद्ध नज़र आ रही है। अब दूसरे एंगल से देखें तो कांग्रेस में दो कलाकार दिलीप लहरिया व कुंवर निषाद तो विधायक बन चुके हैं, लेकिन भाजपा का अब तक कलाकारों के मामले में खाता नहीं खुला है।

 

महादेव एप और हाई प्रोफाइल शादी

सोशल मीडिया पर दुर्ग जिले के एक ऐसे युवक की शादी का वीडियो ख़ूब वायरल हो रहा है जिसका संबंध हज़ार करोड़ के सट्टे के क़ारोबार महादेव एप से रहा है। इस वीडियो के वायरल होने से साथ ही कुछ बड़े अख़बारों में प्रमुखता से ख़बर भी प्रकाशित हुई कि छत्तीसगढ़ के जो लोग महादेव एप का क़रोबार करते रहे हैं उनके बॉलीवुड से कनेक्शन तलाशे जा रहे हैं। उस शादी के कुछ मिनटों के वीडियो को देखो तो उसमें बॉलीवुड की हस्तियां टाईगर श्राफ, नेहा कक्कड़, सनी लियोन, आतिफ असलम, विशाल डडलानी, राहत फतेह अली खान, भारती सिंह, भाग्यश्री, अली असगर, पुलकित सम्राट, कीर्ति खरबंदा, नुशरत भरूचा एवं कृष्णा अभिषेक जैसी बॉलीवुड हस्तियां महफ़िल की शोभा बढ़ाती दिख रही हैं। दुर्ग जिले की अति हाई प्रोफाइल शादी का ये कोई पहला उदाहरण नहीं हैं। नब्बे के दशक में दुर्ग जिले के ही एक शराब क़रोबारी के बेटे की शादी भी कभी क़ाफी चर्चा में रही थी। नदी के किनारे उस क़ारोबारी की शराब बनाने की फैक्ट्री थी। शाम या रात में कभी हवा जब रायपुर की तरफ बहा करती एक अजीब तरह की दुर्गंध वहां के लोगों को हलाक़ान कर दिया करती थी। वह ज़माना अख़बारों का था। अख़बारों में फैक्ट्री से निकलने वाली दुर्गंध पर कभी कोई ख़बर देखने नहीं मिला करती थी। न ही कोई बड़ी राजनीतिक पार्टी उस फैक्ट्री के खिलाफ़ जन आंदोलन करती नज़र आती थी। जब शराब फैक्ट्री के मालिक के बेटे की शादी हुई तो अख़बारों को उस विवाह समारोह के एक-एक पेज का विज्ञापन मिला था। उस हाई प्रोफाइल वाले शराब क़रोबारी के उस दौर को पुराने लोग कभी कभार याद कर लेते हैं।

इतना लंबा कश लो यारों दम निकल जाए

 

पिछले दिनों राजधानी रायपुर में पुलिस ने रात 11 बजे के बाद एक साथ कई बार व रेस्टॉरेंट में छापेमारी की। शराब दुकानों एवं सामान्य बार का समय सुबह 10 से रात 10 बजे तक तथा बार मिश्रित क्लब का समय रात्रि 12 बजे निर्धारित है। छापे के दौरान कुछ ऐसे बार मिले जो रात के 11 बजे के बाद भी चालू थे। वहीं कुछ रेस्टॉरेंट में लोग अवैध रूप से शराब पीते मिले। पुलिस ने दोषी लोगों के खिलाफ़ क्या ठोस कार्रवाई की इसका विवरण तो अब तक सामने नहीं आ पाया है, लेकिन रायपुर शहर पर शराब एवं अन्य तरह के नशे के मामले में दाग़ और गहराता ज़रूर जा रहा है। हालांकि नशे को लेकर रायपुर शहर से संबंधित कभी कोई शोधपूर्ण आंकड़े तो सामने नहीं आए हैं लेकिन माना यही जाता है कि पूरे छत्तीसगढ़ में शराब एवं सिगरेट की सबसे ज़्यादा खपत यहीं हो रही है। वैसे तो लोग एयरपोर्ट तरफ की वीआईपी रोड पर बड़ा नाज़ करते हैं लेकिन यह भी उतना ही सच है कि शुक्रवार, शनिवार एवं रविवार को इस रास्ते देखने लायक नज़ारा रहता है। मस्ती भरे अंदाज़ में लड़के-लड़कियां इस डगर पर दिख जाते हैं। वीकेंड में वीआईपी रोड पर नाच-गाने का दौर अलग चलता है। ऐसा कोई हफ़्ता नहीं जाता जब वीआईपी रोड के पीने पिलाने वाले किसी अड्डे में मारपीट की घटना नहीं होती हो। लेकिन जहां बाउंसर की मौजूदगी हो तो फिर किस बात का डर। अपने ही स्तर पर बड़े से बड़े मारपीट के मसले सुलझा लिए जाते हैं। गुलज़ार साहब निर्देशत फ़िल्म ‘हु तू तू’ में एक गाना है “इतना लंबा कश लो यारों दम निकल जाए…।“ किसी को इस गाने का अर्थ गहराई से समझना हो तो वीकेंड में वीआईपी रोड पर एक शाम या रात गुज़ार ले।

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