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छग विधानसभा चुनाव

विधानसभा चुनाव में नए और पुराने चेहरों के मेल से सरकार बनाने की जुगत

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए इस समय राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़े दलों की ओर से कुछ पुराने नेताओं की टिकट काट दी गई है. वहीं बहुत से नए चेहरों को भी इस बार मौका दिया गया है. इस वजह से इन दोनों दलों की अंदरूनी राजनीति में खलबली मची हुई है.

भाजपा ने इस बार रायपुर उत्तर से पुरंदर मिश्रा के रूप में नए उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीँ, रायपुर दक्षिण से कांग्रेस ने भी इसका जवाब देते हुए दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास को भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ प्रत्याशी बनाया है. धरर्सीवा कांग्रेस ने वर्तमान विधायक अनीता योगेंद्र शर्मा की टिकट काट दी है. दूसरी तरफ भाजपा ने यहां छत्तीसगढ़ी सिनेमा के अभिनेता अनुज शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है.

बीजेपी की सूची में तीन सांसदों, दो पूर्व आईएएस

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए पहले 21 और फिर 64 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. इस सूची में तीन सांसदों, दो पूर्व आईएएस अधिकारीयों और एक छत्तीसगढी अभिनेता को टिकट दी गई है. वहीं बेमेतरा के बीरनपुर हिंसा में मारे गए भूवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को भी टिकट दी गई है. इसके अलावा नौ महिलाओं को भी टिकट दी गई है. दूसरी सूची में भाजपा ने 19 अनुसूचित जनजाति और 9 अनुसूचित जाति पर भरोसा जताया है. इसी तरह कांग्रेस ने अपने टिकट वितरण में सावधानी से कुछ वर्तमान विधायकों को हटा दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अंदेशा है यदि इन विधायकों को टिकट दी गई तो पार्टी की सीट कम हो सकती है.

कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं

कांग्रेस के भीतर बृहस्पति सिंह चिंतामणि महाराज जैसे कुछ विधायक ऐसे भी हैं, जो टिकट नहीं मिलने पर पार्टी को काफी वोटों का नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके साथ ही भूपेश बघेल, टी.एस. सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के अलावा विधान सभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने हुए हैं. भले ही वर्तमान मुख्यमंत्री होने के नाते भूपेश बघेल का दावा सबसे ज्यादा है, लेकिन इन नेताओं की उम्मीदें अभी ख़त्म नहीं हुई है. ऐसे में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति भी सबके लिए विश्लेषण का विषय बनी हुई है.

छत्तीसगढ़ विधानसभा निर्वाचन 2023

दोनों ने नए चेहरों को टिकट दी

प्रदेश की कुल 90 सीटों की बात करें, तो भाजपा ने 53 स्थान पर नए चेहरों को टिकट दी है. वहीं कांग्रेस ने 25 से ज्यादा स्थानों पर नए उम्मीदवारों को उतारा है. कुछ वर्तमान विधायकों की टिकट भी काट दी गई है. इसके बारे में तर्क दिया जा रहा है कि पार्टी की अंदरूनी सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर यह कदम उठाया गया है. फिलहाल छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस जहां एक बार फिर से सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त है. वहीं भाजपा भी कुछ एजेंसियों के सर्वेक्षण रिपोर्ट को देखने के बाद पहले से कहीं ज्यादा उत्साहित नजर आ रही है. एक सर्वेक्षण में तो भाजपा को 38 से 41 सीट मिलने का दावा किया गया है. वहीं कांग्रेस को 45 से 50 सीट मिलने की बात कही गई है. ऐसे में छत्तीसगढ़ का चुनाव बहुत रोचक होने वाला है. क्योंकि यहां कुछ छोटे दलों की ओर से भी अधिकांश सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जा रहे हैं.

आम आदमी पार्टी और अन्य

इनमें आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, समाजवादी पार्टी और सर्व आदिवासी समाज पार्टी के अलावा छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जैसे क्षेत्रीय दल शामिल है. राजनीतिक विशेषज्ञों का यह अनुमान है कि ये सभी दल ज्यादातर कांग्रेसी उम्मीदवारों के वोट ही काटेंगे. इसी वजह से इस बार के चुनाव में भाजपा को यहां अपनी क्षमता से नहीं, तो कम से कम छोटे दलों के सहयोग से 5 से 10 सीटों का आश्चर्यजनक फायदा हो सकता है.

छत्तीसगढ़ के चुनाव को लेकर जो लोग बहुत गंभीरता से विश्लेषण करते हैं, वे इस तथ्य को जानते हैं कि यहां 5 से 10 सीटों पर 500 से कम वोटों का अंतर रहता है. और इतनी ही सीटों पर जीत या हार से यहां सरकार बदल जाती हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ में आने वाला विधानसभा चुनाव छोटे दलों की वजह से किस तरह का नतीजा लेकर आएगा यह देखना सभी के लिए बहुत ही दिलचस्प होने वाला है.

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