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पर्यावरण की समझ रखने वाला नागरिक बनना चाहिए

Environment : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आज आईआईटी बॉम्बे में ‘आइडियाज4लाइफ – लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ – नाम के एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संबंधी रचनात्मक समाधानों को प्रेरित करना है। महाराष्ट्र सरकार के राज्य पर्यावरण विभाग के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर के विद्यार्थियों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देने वाले विचारों का सृजन करने के लिए प्रयास किया गया। केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने आइडियाज4लाइफ में विचार प्रस्तुत करने की समय सीमा को 15 सितंबर से बढ़ाकर 15 अक्टूबर 2024 करने की घोषणा की।

जीवन’ का प्रसार मानवीय जरूरतों से परे तक है

अपने संबोधन में, केन्द्रीय मंत्री ने जीवन के सभी रूपों के बीच के अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालते हुए सरकार के मिशन और “आइडिया4लाइफ” की थीम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने सभी जीवित प्राणियों और पर्यावरण के सह-अस्तित्व की हिमायत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ‘जीवन’ का प्रसार मानवीय जरूरतों से परे तक है।

केन्द्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि विकास के लिए मानव-केन्द्रित दृष्टिकोण अपर्याप्त है और  उन्होंने इसके स्थान पर इकोलॉजी की दृष्टि से जागरूक मॉडल की हिमायत की। उन्होंने बढ़ते तापमान और जैव विविधता के नुकसान जैसे विकास के प्रतिकूल प्रभावों की ओर इशारा करते हुए भोजन, ऊर्जा, दवा और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने में प्रकृति की आवश्यक भूमिका को रेखांकित किया।

उपभोग संबंधी मांगों में बदलाव लाना होगा

केन्द्रीय मंत्री ने यह कहते हुए जैव विविधता के लिए पृथ्वी के एक तिहाई हिस्से को संरक्षित करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला कि लगभग 50,000 प्रजातियों का उपयोग मानव उपभोग के लिए किया जाता है। उन्होंने सतत विकास के लिए तीन आवश्यक कार्रवाइयों को भी रेखांकित किया: उपभोग संबंधी मांगों में बदलाव लाना, आपूर्ति प्रणालियों को बेहतर बनाना और प्रभावी नीतियों को लागू करना।

पर्यावरण के मोर्चे पर भारत की उपलब्धियों के बारे में बोलते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित अपने लक्ष्यों को निर्धारित समय से नौ साल पहले ही पूरा कर लिया है और कृषि में रासायनिक उपयोग को कम करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड पहल की शुरुआत की है।

तकनीकी प्रगति को प्रकृति को समृद्ध एवं संरक्षित करने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए

केन्द्रीय मंत्री ने वैश्विक स्तर पर खाद्य अपशिष्ट से संबंधित परिदृश्य पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रत्येक वर्ष 15 बिलियन टन लैंडफिल में भेजा जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि हमारी शिक्षा, नवाचार और तकनीकी प्रगति को प्रकृति को समृद्ध एवं संरक्षित करने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

केन्द्रीय मंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए, विभिन्न कॉलेजों से एकत्र हुए छात्रों से प्रकृति के संरक्षण और कचरे को कम करने में योगदान देने से संबंधित विचारों एवं सुझावों को आमंत्रित किया, जो अंततः विकास से जुड़ी रणनीतियों में इकोलॉजी संबंधी संतुलन का समावेश करने के मिशन को आगे बढ़ायेंगे

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