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“हसदेव” नागरिक प्रतिरोध मार्च निकाला गया

पेड़ों की कटाई और आदिवासियों के दमन के खिलाफ

by satat chhattisgarh
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"Hasdev" civil resistance march carried out

जबरन गिरफ्तारियां

अडानी के निर्देशों पर रायपुर से हसदेव तक हजारों की संख्या में पुलिस बल को तैनात कर लोगों को जाने से रोका गया, जबरन गिरफ्तारियां की हैं। वाबजूद इसके हसदेव में पहुंचकर विशाल आमसभा और रैली की गई।
यदि फर्जी ग्रामसभा के आधार पर दी गई स्वीकृतियां और कोल ब्लॉक निरस्त नही हुए तो राजधानी रायपुर में होगा विशाल प्रदर्शन

सभी स्वीकृतियां निरस्त करे भाजपा सरकार

संविधान की पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों के आदिवासियों और उनकी ग्रामसभाओं के सतत विरोध को दरकिनार करके एक पूंजीपति की लूट और भ्रष्टाचार के लिए हसदेव अरण्य के समृद्ध जंगल, जमीन, जल स्रोत और पर्यावरण का विनाश किया जा रहा हैl राज्य में नव गठित भाजपा सरकार के निर्देश पर भारी पुलिस बल तैनात कर निर्दयता के साथ सैकड़ों वर्ष पुराने हजारों पेड़ों को काट दिया गया। 21 से 23 दिसंबर तीन दिनों तक खनन प्रभावित सभी गांवों को नजरबंद किया गया, नेतृत्वकारी युवा साथियों और सरपंचों को अमानवीय तरीके से गिरफ्तार कर गैरकानूनी हिरासत में रखा गया l

"Hasdev" civil resistance march carried out"Hasdev" civil resistance march carried out

हसदेव अरण्य में अडानी समूह के लिए भाजपा सरकार द्वारा की गई यह कार्यवाही न सिर्फ कार्पोरेट परस्ती का उदाहरण है, बल्कि आदिवासियों के उस विश्वास पर कुठाराघात है, जिसे चुनाव के वक्त भाजपा पर जताया गया था l छत्तीसगढ़ के हम समस्त जनवादी संगठन, जन पक्षीय राजनैतिक दल और पर्यावरण और आदिवासियों के प्रति संवेदनशील नागरिक राज्य सरकार की हसदेव अरण्य में की गई बर्बर कार्यवाही का पुरजोर तरीके से भत्सर्ना करते हैं l हम सब 7 जनवरी को नागरिक प्रतिरोध मार्च निकालकर हसदेव के संघर्षरत साथियों के आन्दोलन में एकजुटता प्रदर्शित करेंगे l

पांचवी अनुसचित

महत्वपूर्ण है कि इस सम्पूर्ण हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पांचवी अनुसचित क्षेत्र के आदिवासियों और उनकी ग्रामसभाओं ने पिछले एक दशक में कई बार कोयला उत्खनन परियोजना का विरोध किया है, परन्तु अडानी कम्पनी के द्वारा ग्रामसभाओं के कूटरचित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार करके विभिन्न स्वीकृतियां हासिल की गईं है। पूर्व राज्यपाल ने परसा कोल ब्लॉक प्रभावित गांव की ग्रामसभाओं के फर्जी प्रस्ताव की जाँच के आदेश दिनांक 23 अक्टूबर 2023 को मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन को दिया था, परन्तु आज तक जाँच नही की गई l वर्तमान में जिस परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खनन परियोजना के दूसरे चरण के लिए पेड़ो की कटाई की गई है, वह वन क्षेत्र ग्राम घाटबर्रा के सामुदायिक निस्तार का जंगल था l इस गाँव को प्राप्त सामुदायिक वन अधिकार पत्र को गैरकानूनी रूप से जिला स्तरीय समिति सरगुजा ने निरस्त किया था, जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय बिलासपुर में मामला लंबित है l

ज्ञात हो कि हसदेव अरण्य मध्य भारत का समृद्ध वन क्षेत्र है जो जैव विविधता से परिपूर्ण कई विलुप्तप्राय वनस्पति और जीव-जन्तुओं का रहवास है l यह जंगल हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बांगो बांध का केचमेंट है जिससे जांजगीर, रायगढ़, कोरबा और बिलासपुर जिले की 4 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है l

भारतीय वन्य जीव संस्थान रिपोर्ट

भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने हाल ही हसदेव अरण्य क्षेत्र पर विस्तृत अध्ययन किया है, जिसकी रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन को सोंपी गई है l रिपोर्ट में सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को खनन गतिविधियों से मुक्त रखने की सिफारिश की गई है l रिपोर्ट में WII ने चेतवानी देते हुए लिखा है कि यदि हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन की अनुमति दी गई, तो न सिर्फ हसदेव नदी और पर्यावरण का विनाश होगा बल्कि मानव-हाथी संघर्ष इतना विकराल हो जायेगा कि उसे कभी सम्हाला नही जा सकता l

छत्तीसगढ़ विधानसभा संकल्प पारित किया था

छत्तीसगढ़ विधानसभा ने दिनांक 26 जुलाई 2022 को सदन ने सर्वानुमति से संकल्प पारित किया था – “हसदेव अरण्य क्षेत्र में आवंटित सभी कोल ब्लॉक रद्द किए जाएँ” l छत्तीसगढ़ शासन ने दिनांक 1 मई 2023 को माननीय उच्चतम न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमे लिखा है कि हसदेव अरण्य में कोयला उत्खनन राज्य के हित में नही है l हसदेव क्षेत्र में किसी भी नए कोल ब्लॉक का आवंटन या खनन की जरुरत नही है l
हम सब संगठन इस बात पर कायम है कि हसदेव अरण्य में केंद्र और राज्य सरकार की सहमति के बिना एक पेड़ की भी कटाई नहीं हो सकती। इस समय जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उसमें भाजपा राज्य सरकार की पूर्ण सहमति शामिल है और कांग्रेस पर दोषारोपण करके वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। भाजपा सरकार को राज्य की आम जनता की भावना के अनुरूप आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हुए हसदेव में खनन के लिए दी गई सभी अनुमतियों को रद्द करना चाहिए और विधानसभा के प्रस्ताव पर अमल करना चाहिए।

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