हिड़मा का बेटा इतिहास पढ़कर लौटा है
अभी-अभी स्कूल से
सारे पन्ने पलटने के बाद भी उसे वह कहानी नहीं मिली
जिसे उसके बाप ने ऐतिहासिक घटनाओं में
दर्ज करते हुए उसे सुनाई थी
हिड़मा के बेटे को नहीं पता
देश की आजादी-गुलामी वाले किस्से
उसने कभी नहीं सुनी हड़प्पा संस्कृति की वैभव-गाथा
जनरल डायर की गोलियों की धधक
शहीद भगतसिंह की अमर कहानी
महात्मा गांधी का सत्याग्रह व नमक का आंदोलन
नहीं सुनाया कभी उसके बाप ने
चन्द्र शेखर की बंदूक से निकली बागी गोलियों की दास्तां
हिड़मा का बेटा बचपन से सुनता आया है
गुण्डाधुर, डेबरीधुर की वीरता
उसे वह कहानी याद है
कैसे इंद्रावती नदी में गेयर ने मोटर गाड़ी का पेट्रोल डालकर आग लगा कर ललकारा था
हिड़मा के बाप-दादाओं को
तीर से शिकार करने वाले योद्धाओं को
बंदूक की नोक पर जलती इन्द्रावती की आग दिखा कर बताया था अंग्रेजों के देवता
आदिवासियों के देवताओं से ज्यादा ताकतवर हैं
हिड़मा का बेटा सुनता आया है
‘रुपया का दो पैली चावल होना ही चाहिए’
जैसी मांग को लेकर बस्तर की महिलाओं के द्वारा लड़ी गई अद्भुत मौन क्रांति के किस्से
भाले,फरसे, तीर-कमान लिए हजारों हाथ कारतूस की दिशा जाने बिना टूट पड़े उनकी ओर
जिन्होंने छुआ था उनके जंगल की मिट्टी में पकने वाली फसल को
बस्तर का आदिवासी चीखता आ रहा है- ‘एक पेड़ के बदले एक सिर होगा’ का नारा
कहीं पहाड़ों से टकराकर पंडुमगीत की तरह कानों में बजती हैं उसकी ध्वनियां
बस्तर में आजादी की लड़ाई से बहुत पहले ही शुरू हो चुकी थी स्वाभिमान की लड़ाई
हिड़मा का बेटा
हल की नोक से टकराकर पैदा हुआ है उसी मिट्टी में
जहाँ हिड़मा के बाप-दादा की इच्छाओं का अंतिम संस्कार होना बाकी है
हिड़मा का बेटा
पहाड़ को जी भर देखता है और गुनगुनाता है – डोंगरी के गागतो चो अधिकार नी हाय
स्कूल में इतिहास का पाठ पढ़ाने के बाद गुरुजी पूछते हैं कई सारे सवाल
हिड़मा का बेटा मात्राओं की हिज्जा करके
पढ़ने लगा है वह सब कुछ
जिसे दर्ज किया गया है देश की ऐतिहासिक घटनाओं में एक दस्तावेज की तरह
हिड़मा का बेटा अभी
पढ रहा है हिज्जा कर कर के इतिहास की सारी किताबें!