...

तुम ख़्वाब हो तो (कविता )

तुम ख़्वाब हो तो,
नींद का पत्र होना चाहूंगी
तुम चांद हो तो,
स्याह रात्रि का इत्र होना चाहूंगी

तुम यौवन हो तो,
मनभावन श्रृंगार होना चाहूंगी
तुम पर्वत हो तो,
नदी का बहाव होना चाहूंगी

तुम नभ हो तो,
धरा सा उद्गार होना चाहूंगी
तुम दिनकर हो,
तो किरणों का उपहार होना चाहूंगी

तुम संगीतमय ध्वनि हो तो,
गीत मल्हार होना चाहूंगी
तुम प्रेम हो तो,
प्रेमिका का इंतजार होना चाहूंगी

तुम भूति हो तो, मैं अनुभूति होना चाहूंगी…

© अनुभूति गुप्ता

Related posts

कपड़े पहनने का अब तक शऊर नहीं सीखा

हे बीजापुर, कभी देखा नहीं तुम्हें

पूछना तो चाहती थी (कविता )