खोजे गए आयनोस्फेरिक रहस्य

अंटार्कटिका महाद्वीप में रहस्य की  खोज

अंटार्कटिका की ठंडी अंधेरी सर्दियां और तेज धूप वाली गर्मी आयनमंडल में एक रहस्य छुपाए हुई थी, जिसे वैज्ञानिकों ने हाल ही में खोज निकाला है। गर्मियों में 24 घंटे सूरज की रोशनी और सर्दियों में पूर्ण अंधेरे की परवाह किए बिना आयनोस्फेरिक का घनत्व दिन-रात अलग-अलग होता है।

एक दशक तक चले आयनोस्फेरिक अवलोकन

अंटार्कटिका के भारती स्टेशन पर एक दशक तक चले आयनोस्फेरिक अवलोकनों में, गर्मियों और सर्दियों के बाद विषुव महीनों में अधिकतम कुल इलेक्ट्रॉन गणना (टीईसी) के साथ पर्याप्त मौसमी भिन्नता पाई गई। इस प्रकार के दीर्घकालिक अध्ययन उपग्रह-आधारित नेविगेशन एवं संचार प्रणालियों पर आयनमंडल के प्रभावों को समझने और उन्हें कम करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।

आयनमंडल बहुत ज्यादा गतिशील है

आयनमंडल पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल का एक हिस्सा है, जो आंशिक रूप से आयनित है जो 100 से 1000 किमी तक फैला हुआ है। ध्रुवीय क्षेत्रों में आयनमंडल बहुत ज्यादा गतिशील है और अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं और मैग्नेटोस्फीयर-आयनोस्फीयर प्रणालियों में संबंधित प्रक्रियाओं के लिए एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में काम करता है क्योंकि इस क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं लंबवत होती हैं।

आयनोस्फेरिक रहस्यों से उपग्रह-आधारित नेविगेशन में मदद मिल सकती है

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त निकाय भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (आईआईजी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने 2010 और 2022 के बीच भारतीय अंटार्कटिका स्टेशन भारती में दीर्घकालिक मौसमी आयनोस्फेरिक अवलोकनों की जांच की है, जिसमें सूर्य के 11 वर्ष के चक्र की गतिविधियों का अवलोकन भी शामिल है।

नेविगेशन एवं संचार प्रणालियों में मदद

अवलोकन में यह पाया गया कि यद्यपि भारती स्टेशन पर सर्दियों के महीनों (ध्रुवीय रातों) में पूरे दिन सूरज की रोशनी नहीं मिलती थी लेकिन फिर भी दोपहर में चरम आयनोस्फेरिक घनत्व का एक दैनिक पैटर्न देखा गया। गर्मियों में 24 घंटे सूरज की रोशनी और सर्दियों में पूर्ण अंधेरे की परवाह किए बिना दिन-रात आयनोस्फेरिक घनत्व में भिन्नता देखी गई। वैज्ञानिकों ने चरम आयनीकरण के लिए अणु अवक्षेपण और उच्च अक्षांशों से संवहनीय प्लाज्मा के परिवहन को जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा, गर्मी के महीनों में जहां ध्रुवीय दिनों में 24 घंटे सूरज की रोशनी रहती है, अधिकतम आयनोस्फेरिक घनत्व भारती क्षेत्र में ध्रुवीय रातों की तुलना में लगभग दोगुना था।

यह अध्ययन जर्नल ऑफ पोलर साइंस में प्रकाशित हुआ है। इस प्रकार के दीर्घकालिक अध्ययन हमें उपग्रह-आधारित नेविगेशन एवं संचार प्रणालियों पर आयनमंडल के प्रभावों को समझने और उन्हें कम करने में मदद करेंगे।

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