हॉलीवुड के माइकल डगलस और शैलेन्द्र सिंह के साथ विचार मंथन
इस विचार मंथन के दौरान ‘क्या यह समय विश्व सिनेमा का है?’ विषय पर दुनिया के हरेक कोने से फिल्म निर्माताओं, कहानीकारों और दर्शकों को एक साथ लाने, भौगोलिक सीमाओं को पार करने की कोशिश करने वाली फिल्मों पर प्रकाश डाला गया।
गोवा में आयोजित 54वें इफ्फी के दौरान आज सिनेमा की सार्वभौमिक भाषा का उत्सव मनाने के लिए हॉलीवुड के विख्यात अभिनेता एवं फिल्म निर्माता माइकल डगलस तथा निर्माता शैलेन्द्र सिंह के साथ ‘इन-कन्वर्सेशन’ सत्र आयोजित किया गया।
अच्छी मौलिक कहानी पर आधारित और सार्वभौमिक संदेश वाली फिल्म वैश्विक दर्शकों तक पहुंच कायम कर सकती है-माइकल डगलस
भारत अधिकांश जगहों की तुलना में काफी अलग है
फिल्म प्रेमियों, फिल्म निर्माताओं और इस उद्योग के पेशेवरों के साथ बातचीत करते हुए माइकल डगलस ने कहा, ” अच्छी फिल्म का निर्माण करने की सामग्री, जो निजी हो और किसी के अपने देश के करीब हो और जिसके संदेश में वैश्विक सामर्थ्य हो, वह विश्व सिनेमा को आकर्षित कर सकती है।”
उन्होंने कहा कि सिनेमा के संदर्भ में भारत अधिकांश जगहों की तुलना में काफी अलग है, क्योंकि यहां का फिल्म उद्योग असाधारण रूप से विशाल है और यहां की आबादी बहुत अधिक है, इसलिए अन्य देशों की तुलना में, यहां देश के बाहर जाने की आवश्यकता और इच्छा नहीं है।
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आरआरआर के प्रति वैश्विक आकर्षण
माइकल डगलस ने आरआरआर के प्रति वैश्विक आकर्षण के बारे में चर्चा करते हुए प्रसिद्ध निर्माता और अभिनेता ने कहा कि आरआरआर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में बेहद सफल रही, क्योंकि यह फिल्म भारत की अपनी कहानी पर आधारित थी और इसे एक सार्वभौमिक संदेश के साथ बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि किसी फिल्म की सफलता के लिए उसे अपने लिए बनाना चाहिए और यह नहीं सोचना चाहिए कि यह शेष विश्व तक पहुंच बना पाएगी या नहीं।
मुझे सबसे अधिक भरोसा युवा पीढ़ी पर है
बेमिसाल सफलताओं को समेटे दशकों लंबे करियर वाले डगलस ने भारतीय युवाओं के लिए अपने संदेश में कहा, “मुझे सबसे अधिक भरोसा युवा पीढ़ी पर है, क्योंकि युवा पीढ़ी के पास सोशल मीडिया है और वे जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याओं को हल करने के प्रयासों के तहत मिलकर काम करने की आवश्यकता को समझते हैं”।
‘द विलेन्स – लीविंग अ लास्टिंग इम्प्रेशन’ शीर्षक पर बातचीत सत्र का आयोजन
प्रोडक्शन के क्षेत्र में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब 23 साल की अल्पायु में ‘वन फ़्लू ओवर द कूकूज़ नेस्ट’ किताब से शुरू हुआ, जब उनके दिवंगत पिता और विख्यात अभिनेता एवं निर्माता किर्क डगलस ने यह किताब हासिल कर एक नाटक तैयार किया। उसी समय माइकल डगलस इस क्षेत्र में दाखिल हुए और उन्होंने फिल्म बनाने का जिम्मा संभाला।
इसके बाद उन्होंने जैक निकोल्सन को मुख्य अभिनेता के तौर पर लेते हुए डैनी डी वीटो के साथ फिल्म बनाई जो काफी सफल रही।
किसी अच्छी फिल्म में छोटी भूमिका निभाना पसंद करूंगा
अपनी सिनेमाई तलाश और एक अभिनेता के रूप में पटकथा का चयन करने के लिए उन्हें क्या प्रेरित करता है, इस बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, “अभिनेता के तौर पर मेरे लिए सबसे अहम बात अच्छी फिल्म का हिस्सा बनना है, चाहे वह हिस्सा बहुत छोटा सा ही क्यों न हो। मैं किसी बुरी फिल्म में बड़ा किरदार करने के बजाय किसी अच्छी फिल्म में छोटी भूमिका निभाना पसंद करूंगा।”
अपने दिवंगत पिता किर्क डगलस की विरासत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पिता कहा करते थे, “एक अभिनेता के रूप में, सबसे कठिन काम सहज और सरल होना है, अभिनेता के रूप में सबसे कठिन काम सुनना है; अभिनेता ज्यादा सुनते नहीं, केवल बात करते हैं।”
उन्होंने कहा कि जिस तरह वह अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं,उसी तरह वह अपने बेटे डायलन डगलस से भी ऐसा ही किए जाने की अपेक्षा रखते हैं।