ISRO, चंद्रयान और भारत

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR)

ISRO की स्‍थापना 1962 में हुई थी। उस समय इसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) कहा जाता था। INCOSPAR ने तिरुवनंतपुरम में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) की स्थापना की। विक्रम साराभाई उसके मुखिया थे। संस्थान के पास तब पैसे भी ज्यादा नहीं थे। उनके पास गिने-चुने वैज्ञानिकों की टीम थी जिनमे से एक थे, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम।

चंद्रयान,चरौदा और भरत कुमार

एपीजे और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई

बहुत ही कम संसाधनों से स्‍थापना

कम संसाधनों के बावजूद INCOSPAR ने साल भर बाद ही 21 नवम्बर 1963 को भारत का पहला रॉकेट ‘नाइक अपाचे’ लॉन्‍च किया। तब उसके पार्ट्स को साइकिल पर लादकर लॉन्‍च सेंटर तक पहुंचाया गया था। बाद में TERLS का नाम विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) रखा गया, इसी तरह 15 अगस्त 1969 को INCOSPAR इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) बन गया और यहीं से इसने अंतरिक्ष को नापने की अपनी गति को तेज कर दिया। बेहतरीन अंतरिक्ष उपलब्धियों के साथ यह चाँद पर ISRO 2008 में चंद्रयान मिशन 1 के रूप में पहुंचा। चंद्रयान मिशन 1 की उपलब्धि यह है कि उसने वहां पानी (हाइड्रॉक्सिल (OH) और पानी (H2O) अणुओं की उपस्थिति) की खोज की है।

चांद की सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल ने

साइकिल से चाँद तक।

थुम्बा को ही रॉकेट लॉन्च करने के लिए क्यों चुना गया

हम बचपन से दूरदर्शन समाचारों में इसरो की उपलब्धियां लगातार सुनते आ रहे थे और उसके साथ थुम्बा और श्रीहरिकोटा का नाम भी पर ज्यादा जानकारी न थी। अब जो जानकारी हुई कि थुम्बा को ही रॉकेट लॉन्च करने के लिए क्यों चुना गया, यह भी रोचक है। दरअसल विक्रम साराभाई को रॉकेट लॉन्च करने जो जगह मिली वह थी तिरुअनंतपुरम के थुम्बा में मैरी मैग्डलेन कैथोलिक चर्च।

थुम्बा का चर्च वर्तमान में जो स्पेस म्यूजियम भी है।

यह जगह ठीक इक्वेटर (पृथ्वी का मध्य भाग) के ऊपर है। ऐसी जगह से अंतरिक्ष मे रॉकेट प्रक्षेपण सुविधाजनक होता है। इस चर्च की स्थापना 1544 में फ़्रांसिस ज़ेवियर ने की थी। इसके लिए विक्रम साराभाई केरल के बिशप रेवरेंड पीटर बर्नार्ड परेरा से मिले। इस मुलाकात में हमारे प्रिय वैज्ञानिक और राष्ट्रपति एपीजे कलाम भी शामिल थे। बिशप ने अपने लोगों से बात की और सबने चर्च की जमीन रॉकेट छोड़ने के लिए सहमति दे दी।

पहला रॉकेट बनाते एपीजे कलाम और साथी वैज्ञानिक

 

सहमति के बाद चर्च को ही INCOSPAR का ऑफिस / कंट्रोल रूम बनाया गया। चर्च से लगे खेत में रॉकेट छोड़ने के लिए लॉन्च पैड बना और बिशप बर्नार्ड परेरा का घर निदेशक के ऑफिस के रूप में काम में लाया गया। बाद में ISRO का विस्तार होता गया पर आज भी यह मैरी मैग्डलेन चर्च अपने पूजा स्थल के साथ स्पेस म्यूजियम के रूप में स्थापित है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के इतिहास में दर्ज है।

मानव सभ्यता के बेहतरीन काम प्रेम, बुद्धि और सहयोग से ही हुए हैं। यह बना रहे।

(शोध एवं संकलन)

Piyush Kumar

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