भू-विस्थापित निकालेंगे मशाल जुलूस

11 को नाकाबंदी, समर्थन के लिए नुक्कड़ सभाओं के साथ अनाज संग्रहण भी

रोजगार और पुनर्वास से जुड़ी मांगों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में कोरबा जिले में भू-विस्थापितों के बीच सक्रिय दसियों संगठन लामबंद हो गए हैं और उन्होंने 11 सितम्बर को रेल और सड़क मार्ग से होने वाली कोयला ढुलाई को रोककर आर्थिक नाकाबंदी करने की घोषणा की है। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए नुक्कड़ सभाओं के साथ पोस्टर और पर्चों का भी वितरण किया जा रहा है।

 

टोलियां बनाकर अनाज संग्रहण

आंदोलनकारी के जरिये भी ग्रामीणों से समर्थन मांग रहे है। भू-विस्थापितों के छोटे-बड़े सभी संगठनों के एकजुट होने का असर ग्रामीणों पर भी देखने को मिल रहा है। 11 सितम्बर को बड़ी संख्या में उनके सड़कों पर उतरने की संभावना है। इससे पहले कल 9 सितम्बर को मशाल जुलूस निकालकर वे शक्ति-प्रदर्शन करेंगे।

बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण

उल्लेखनीय है कि बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरणों का निपटारा करने, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार तथा पुनर्वास गांव में बसे भू विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि मांगों को लेकर अपने-अपने ढंग से लड़ाई लड़ रहे थे।

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने उनको एकजुट करने की कोशिश

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने उनको एकजुट करने की पहलकदमी की। 5 सितम्बर को उनका संयुक्त सम्मेलन हुआ, जिसमें 11 सितम्बर को कोयले की ढुलाई रोककर उन्होंने अपनी संयुक्त ताकत दिखाने का फैसला किया है। इस सम्मेलन में 56 गांवों के ग्रामीणों ने हिस्सा लिया था, जिन्होंने आर्थिक नाकेबंदी के आह्वान का समर्थन किया है। व्यापारी और नागरिक समाज का भी इस आंदोलन को समर्थन मिल रहा है, क्योंकि वे यह समझ रहे हैं कि इस क्षेत्र में रोजगार का विस्तार होने का सीधा फायदा उनके व्यापार को मिलेगा।

आंदोलन तभी खत्म नही होगा

छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापितों के संगठनों ने कहा है कि उनका आंदोलन तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन रोजगार, मुआवजा, बसावट, पट्टा और जमीन वापसी के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा।

किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि कोयला उत्खनन के लिए हजारों एकड़ जमीन के अधिग्रहण के 50-60 वर्ष बाद, आज भी हजारों भू-विस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भू-विस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है।

 

किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक आदि ने कहा कि ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है, इसलिए किसान सभा और अन्य संगठनों को मिलकर सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करना होगा।

गैर-यूरिया उर्वरकों को सस्ते दामों में उपलब्ध कराए सरकार : किसान सभा

प्रचार अभियान में बड़ी संख्या में महिलाएं भी हिस्सा ले रही हैं। वे पोस्टर चिपकाने के साथ घर-घर पर्चे बांट कर अनाज भी संग्रह कर रही है। प्रचार अभियान में प्रमुख रूप से देव कुमार पटेल, जयपाल सिंह कंवर, अजय पटेल, दामोदर, रेशम, सुमेन्द्र सिंह, फणींद्र, मानिक दास, होरी, शिवदयाल कंवर, सुभद्रा कंवर, बसंत चौहान, संजू कुमार, विजय कुमार के साथ सभी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल हो रहे हैं।

जवाहर सिंह कंवर, अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ किसान सभा, कोरबा

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