Maha Kumbh 2025: तीर्थराज में महाकुंभ की भव्य शुरुआत हो चुकी है। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद अब मंगलवार को महाकुंभ का महास्नान शुरू हो चुका है। महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के पावन अवसर पर शुरू गया है।
सबसे पहले श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा के संतों ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। आज सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के संत क्रमबद्ध तरीके से त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करेंगे।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शाही का नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया है। इससे संत उत्साहित हैं। ध्वज-पताका, बैंड बाजा के साथ अखाड़े स्नान करने जाने लगे हैं। आचार्य महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर भव्य रथ पर आसीन हैं। ढोल-बाजे के साथ संतों के रथ घाट की तरफ बढ़ने लगे हैं।
13 अखाड़ों का अमृत स्नान
महाकुंभ मेला प्रशासन की तरफ से पूर्व की मान्यताओं का पूरी तरह अनुसरण करते हुए सनातन धर्म के 13 अखाड़ों को अमृत स्नान में स्नान क्रम भी जारी किया गया है। सभी अखाड़ों को इसकी जानकारी दे दी गई है।
श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल के सचिव महंत आचार्य देवेंद्र सिंह शास्त्री बताते हैं कि अखाड़ों के अमृत स्नान की तिथि, क्रम और समय की जानकारी आ चुकी है। मकर संक्रांति पर श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी सबसे पहले अमृत स्नान करेगा, जिसके साथ श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़ा भी होगा।
यह अखाड़ा सुबह 5.15 बजे शिविर से प्रस्थान किया और 6.15 बजे घाट पर पहुंचा। अखाड़े को 40 मिनट का समय स्नान के लिए दिया गया है। दूसरे स्थान पर श्रीतपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा एवं श्रीपंचायती अखाड़ा आनंद अमृत स्नान करेगा। इसका शिविर से प्रस्थान का समय सुबह 6,05 बजे, घाट पर आगमन का समय 7.05, स्नान का समय 40 मिनट रहेगा।
तीन संन्यासी अखाड़े अमृत स्नान करेंगे, जिसमें श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा एवं श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़ा तथा श्रीपंचाग्नि अखाड़ा शामिल हैं। इनका शिविर से प्रस्थान का समय सात बजे, घाट पर आगमन का समय आठ बजे, स्नान का समय 40 मिनट तय किया गया है।
तीन बैरागी अखाड़ों में सबसे पहले अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा 9.40 पर शिविर से चलेगा, 10.40 पर घाट पर पहुंचेगा और 30 मिनट स्नान के बाद 11.10 पर घाट से शिविर के लिए रवाना हो जाएगा।
अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा 10.20 पर शिविर से निकलेगा, 11.20 पर घाट पहुंचेगा। अखाड़े को स्नान के लिए 50 मिनट का समय दिया गया है। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़ा 11.20 पर शिविर से चलेगा, 12.20 पर घाट पहुंचेगा। 30 मिनट स्नान के बाद 12.50 पर वहां से वापस 13.50 पर शिविर आ जाएगा।
उदासीन श्रीपंचायती नया उदासीन अखाड़ा दोपहर 12.15 पर शिविर से रवाना होकर 13.15 पर घाट पहुंचेगा और 55 मिनट स्नान करने के बाद 14.10 पर घाट से रवाना होकर 15.10 पर शिविर पहुंच जाएगा।
श्रीपंचायती अखाड़ा, नया उदासीन, निर्वाण की बारी है, जो 13.20 बजे शिविर से उठेगा और 14.20 पर घाट पहुंचेगा। यहां एक घंटे स्नान के बाद 15.20 पर घाट से रवाना होकर 16.20 पर शिविर आ जाएगा।
सबसे अंत में श्रीपंचायती निर्मल अखाड़ा स्नान करेगा। यह अखाड़ा दोपहर 14.40 पर शिविर से चलेगा और 15.40 पर घाट पहुंचेगा। ठीक 40 मिनट स्नान करने के बाद 16.20 पर घाट से रवाना होकर 17.20 पर शिविर आ जाएगा। यह व्यवस्था मकर संक्रांति और बसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए जारी हुई है।
किन्नर संन्यासी , श्रृंगार करके अमृत स्नान
अर्द्धनारीश्वर के स्वरूप किन्नर अमृत स्नान को लेकर उत्साहित हैं। स्नान के साथ परंपरा व संस्कृति का समन्वय होगा। किन्नर संन्यासी सोलह श्रृंगार करके सम्मान के साथ रथ पर आसीन होकर स्नान करने जाएंगे। जूना अखाड़ा के साथ किन्नर संन्यासी अमृत स्नान करने जाएंगे।
आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में दर्जनभर से अधिक महामंडलेश्वर सजधज कर स्नान करेंगे। हर अखाड़े के संतों की तरह किन्नर संन्यासी भी राजसी वैभव का प्रदर्शन करते हुए संगम तट तक जाएंगे। किन्नर संन्यासी कभी उपेक्षित थे।
किन्नर अखाड़ा को वर्ष 2019 के कुंभ मेला में अमृत स्नान (तब शाही स्नान) का अधिकार मिला था। जूना अखाड़ा ने किन्नरों को अपने साथ जोड़कर उन्हें सम्मान के साथ स्नान कराया था। इससे किन्नर संतों का मान बढ़ा था। सनातन धर्म के क्षेत्र में यह बड़ा बदलाव था।
अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि किन्नर परमात्मा को प्रसन्न करने के लिए श्रृंगार करते हैं। अमृत स्नान आत्मा का परमात्मा से मिलन का माध्यम है। श्रृंगार के जरिए हम परमात्मा को प्रसन्न करते हैं, जिससे उनकी कृपा मिल सके।
कहा कि जब समस्त अखाड़े शाही स्नान करते थे तब हमने अपने स्नान को अमृत स्नान नाम दिया था। अब शासन-प्रशासन ने शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया है। हमें उसकी प्रसन्नता है। यह किन्नरों की विद्वता और सोच की विजय है।