तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. यह फैसला लोकसभा में पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों की जांच कर रही संसद की आचार समिति की रिपोर्ट सौंपने के बाद लिया गया है. इस रिपोर्ट में महुआ की सांसदी को ख़त्म करने की सिफ़ारिश की गई थी.
सवाल के बदले रिश्वत लेने का आरोप
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने अपनी शिकायत में मोइत्रा पर उपहार के बदले कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था. दुबे ने कहा कि आरोप सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से प्राप्त एक पत्र पर आधारित थे, जिसमें मोइत्रा और व्यवसायी के बीच “रिश्वत लेनदेन के कई सबूत” थे।
सांसदी ख़त्म होने पर महुआ मोइत्रा क्या कहा
सांसद के रूप में महुआ आचरण अनैतिक पाया गया
टीएमसी की महुआ मोइत्रा को लोकसभा सदस्य के रूप में निष्कासित किए जाने के बाद सदन को 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि यह सदन समिति के इस निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के लिए अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है.
बोलने का मौका नहीं मिला महुआ को
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनि मत से मंजूरी दे दी. विपक्ष, खासकर तृणमूल कांग्रेस ने अध्यक्ष से कई बार मोइत्रा को सदन में अपना पक्ष रखने का मौका देने का अनुरोध किया, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय परंपरा का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया.