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मेहनतकशों के बेटे नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम ऐसे ही बने रहें!

ईमान इन दोनों चैम्पियनों की ख़ूबसूरती है

नीरज पानीपत जिले के खांद्रा गाँव में एक किसान जाति रोड़ परिवार में पैदा हुए। दोनों मेहनतकशों के बेटे है। खेतों में मेहनत करने वाले उनके पिता सतीश और पाकिस्तान के पंजाब के मियाँ चन्नू क़स्बे के अरशद नदीम के चिनाई मिस्त्री पिता मोहम्मद अशरफ़ ने सच्चे मेहनतकशों के बिरादराना जज़्बे को अपनी औलादों के दिल में उतारा है। यह ईमान इन दोनों चैम्पियनों की ख़ूबसूरती है। तीन बँटवारों के बावजूद दोनों खिलाड़ी एक इलाक़े से आते हैं, पंजाब से।

https://www.aljazeera.com/sports/2023/8/28/indias-neeraj-chopra-pakistans-arshad-nadeem-make-javelin-history

भारत-पाकिस्तान के रूप में बँटे देश में पंजाब बँटा। फिर भारत के हिस्से वाले पंजाब से ही हरियाणा निकला जिसके पंजाबी असर वाले ही पानीपत इलाक़े के खांद्रा गाँव से नीरज आते हैं। उधर पंजाब के खानेवाल जिले के तहसील मुख्यालय मियाँ चन्नू से अरशद नदीम।

नदीम और नीरज  बीच कैसा दोस्ताना रिश्ता

टोक्यो ओलम्पिक में नीरज जैवलिन थ्रो के चैम्पियन बनते ही लाइम लाइट में आ गए थे। तब पाकिस्तान के उनके प्रतिद्वंद्वी अरशद नदीम को सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल किया जा रहा था। नीरज को अपना भाला नहीं मिल रहा था। उन्होंने देखा कि उनका भाला अरशद नदीम लिये हुए थे। इन खिलाड़ियों के बीच की इस आकस्मिक सहज घटना पर नफ़रत के खिलाड़ियों ने खेलना शुरू कर दिया था। तब नीरज ने हस्तक्षेप किया था और नफ़रतियों को फटकारते हुए बताया था कि नदीम और उनके बीच कैसा दोस्ताना रिश्ता है।

नीरज के पिता के बयानों में भी इस रिश्ते का ज़िक्र आता

नदीम भी 2016 में असम के एक टूर्नामेंट से शुरू हुए इस भाईचारे के रिश्ते को अपनी बातों में दोहराते रहते हैं। नीरज के पिता सतीश के बयानों में भी इस रिश्ते का ज़िक्र आता है। बीच में एक चैम्पियनशिप में नीरज चोट की वज़ह से नहीं खेले थे तो नदीम उनकी अनुपस्थिति के अहसास को दर्ज़ कर रहे थे। नदीम ने रेकॉर्ड दूरी तक भाला फेंक कर गोल्ड जीता था तो नीरज ने तुरत उन्हें बधाई दी थी।

किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना-KVPY (फेलोशिप)

अब वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2023 में नीरज ने गोल्ड और नदीम ने सिल्वर जीता है तो एक वीडियो वायरल हो रहा है। मीडिया के कैमरे नीरज पर फोकस कर रहे हैं। वे फ्रेम से बाहर खड़े नदीम को देखते हैं और वे उन्हें पुकार कर तिरंगा लिये फैली अपनी बाँह में समेट लेते हैं।

भारत और पाकिस्तान के नाम पर और अंतत: हिन्दू और मुसलमान के नाम पर सिर्फ़ और सिर्फ़ नफ़रत फैलाने वालों के बरअक्स यह इन खिलाड़ियों का ख़ुशनुमा सिलसिला है। इसमें बरकत रहे! ख़िलाड़ी आते-जाते रहते हैं, मुहब्बत और सच्चाई के लिए खड़े हुए खिलाड़ी अलग से चमकते हैं।

Dheeresh Saini  (फेसबुक से )

https://www.facebook.com/SatatChhattisgarh?mibextid=ZbWKwL

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