दो देशों के यात्रा के बाद भारत लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो के वैज्ञानिकों से मिलने सीधे बेंगलुरु पहुंचे। वो इसरो के कमांड सेंटर पहुंचे और चंद्रयान-3 को सफल बनाने वाले वैज्ञानिकों से मुलाकात की। पीएम मोदी ने इस दौरान इसरो चीफ की पीठ थपथपा , चंद्रयान 3 मिशन के सफल होने पर बधाई दी। पीएम ने टीम के सभी वैज्ञानिकों से साथ ग्रुप फोटो भी खिंचवाई। इस दौरान उन्होंने घोषणा की कि अब 23 अगस्त को नेशनल स्पेस डे मनाया जाएगा।
भारत और ग्रीस 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करने पर सहमत।
टचडाउन प्वाइंट को नाम दिए जाने की वैज्ञानिक परंपरा है
वैज्ञानिकों से संवाद में उन्हेंने कहा , आप जानते हैं कि स्पेस मिशन के टचडाउन प्वाइंट को एक नाम दिए जाने की वैज्ञानिक परंपरा है। चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है भारत ने उस स्थान के नामकरण का फैसला लिया है। 23 अगस्त को जिस स्थान पर चंद्रयान 3 का लैंडर उतरा है, अब उस प्वाइंट को- शिव शक्ति के नाम से जाना जाएगा।
आज का भारता है, जुझारू भारत।
संवाद में उन्होंने कहा कि भारत आते ही सबसे पहले जल्द से जल्द आप लोगों का दर्शन करना चाहता था। आप सबको सैल्यूट करना चाहता था। ये सैल्यूट आपके परिश्रम को , काम को, आपके धैर्य को ,लग्न को, जीवटता को, आपके जज्बे को । आप देश को जिस ऊंचाई पर लेकर गए हो ये कोई साधारण सफलता नहीं है। ये आज का भारता है, जुझारू भारत। यह वो भारत है जो नया सोचता है और नए तरीके से सोचता है। डार्क जोन में जाकर भी रोशनी की किरण जगा देता है। मेरी आखों के आगे 23 अगस्त का वो पल बार-बार घूम रहा है। उस पल को भला कौन भूल सकता है। वो पल अमर हो गया।
दुनिया भारत की टेक्नोलॉजी का साइंटफिक टेंपरामेंट का लोहा मान चुकी है।
वैज्ञानिकों से संवाद में उन्हेंने यह भी कहा , मैंने भी वो वीडियो देखी जिसमे हमारे लैंडर ने अंगद की तरह चांद पर मजबूती से पैर जमाया है। चांद की इस तस्वीर को दुनिया को दिखाने का काम भारत ने किया है। आप सभी वैज्ञानिकों ने किया है। आज पूरी दुनिया भारत की टेक्नोलॉजी का साइंटफिक टेंपरामेंट का लोहा मान चुकी है।
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एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत।
इससे पहले भारत लौटने पर पीएम मोदी का स्वागत करने के हवाई अड्डे पर लोगों की भीड़ पहुंची। बेंगलुरु में एचएएल हवाई अड्डे के बाहर सड़कों पर ढोल बजाते और नृत्य करते नज़र आ रहे हैं। एयरपोर्ट पर उतरने के बाद लोगों को संबोधित किया। लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के वैज्ञानिक देश को जब इतनी बड़ी सौगात देते हैं, इतनी बड़ी सिद्धि प्राप्त करते हैं, जो दृश्य मुझे बेंगलुरु में दिखाई दे रहा है, वो मुझे ग्रीस और साउथ अफ्रीका में भी देखने को मिला।
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” “जय अनुसंधान”
आप सुबह-सुबह इतना जल्दी आए, मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। मैं दूर विदेश में था। तो मैंने सोच लिया था कि पहले भारत जाऊंगा तो पहले बेंगलुरु जाऊंगा। सबसे पहले उन वैज्ञानिकों से मिलूंगा और उन्हें नमन करूंगा। उन्होंने कहा “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” का नारा पहले से है अब इसमें एक चीज और जुड़ गया है “जय अनुसंधान”