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“राष्ट्रीय युद्ध स्मारक- हमारे वीर जवानों को श्रद्धांजलि” 7वीं कक्षा की पाठ्यक्रम में शामिल।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने “राष्ट्रीय युद्ध स्मारक- हमारे वीर जवानों को श्रद्धांजलि” नाम से एक अध्याय इस वर्ष से सातवीं कक्षा की पाठ्यक्रम में शामिल किया है। इसका उद्देश्य स्कूली छात्रों के मन में देशभक्ति, कर्तव्य के प्रति समर्पण और साहस तथा त्याग के मूल्यों से जुड़ी भावना को बढ़ावा देना है। साथ ही युवाओं में राष्ट्र निर्माण में भागीदारी की भावना को भी बढ़ाना है। रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की ओर से यह संयुक्त पहल की गई है।

 

 

इस अध्याय में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के इतिहास, महत्व और सिद्धांत का उल्लेख किया गया है। साथ ही स्वतंत्रता के बाद देश के लिए प्राण न्यौछावर कर देने वाले सशस्त्र सेनाओं के वीर जवानों के सर्वोच्च बलिदान को भी इसमें शामिल किया गया है। इस अध्याय में 2 मित्रों ने एक दूसरे को पत्र लिखकर स्वतंत्रता के लिए वीर जवानों के बलिदान पर कृतज्ञता की भावना साझा की है।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के जरिए देशभक्ति की भावना को जगाना है मकसद

चेप्टर बच्चों को वार मेमोरियल के बारे में पढ़ाने के पीछे देशभक्ति की भावना को जगाना है। मालूम हो कि 7 क्लास की अंग्रेजी सिलेबस में ‘ए होमेज टू आवर ब्रेव सोल्जर्स’ नामक ‘हनीकॉम्ब’ पुस्तक में लास्ट चेप्टर के रूप में शामिल किया गया है।

 

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अंकित इन बहादुरों की गाथा पढ़ेंगे

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाठ में लांस नायक अल्बर्ट एक्का, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद हुए थे, मेजर पद्मपाणि आचार्य, जो 1999 के कारगिल युद्ध में लड़े, महावीर चक्र पुरस्कार विजेता कैप्टन अनुज नैय्यर सहित कई बहादुरों के नामों का जिक्र किया गया है

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