वीरों ने अपने खून देकर ये आज़ादी हमें दिलाई है,
फिर हमारे सोंच ने समाज में बंदिशें क्यूँ लगायी हैं?
हक़ है सभी को अपना जीवन जीने का,
फिर ये अमीरी,गरीबी,जात, पात किसने बनायी है?
लड़का हो या लड़की जिम्मेदारी तो सबकी बराबर है,
इस देश में फिर भेदभाव कहाँ से आयी है?
सोच अपनी आज़ाद करो तभी आज़ादी पाओगे,
युवा अपनी जिम्मेदारी समझो,वरना पीछे ही रह जाओगे,
सोच अगर बदल गयी, ये समाज तब ही बदल पाओगे,
आज़ादी के सही मायने तुम फिर खुद जान जाओगे।
साक्षी
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