माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भाषण सुनना बहुत हिम्मत की बात है, भाई।
आज मैंने अपने प्रधानमंत्री जी, क्षमा करेंगे, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का लाल किले से दिए गए सपनों से भरपूर भाषण को सुना।
बहुत हिम्मत की बात है, भाई।
हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कभी भी वर्तमान की बात नहीं करते। माननीय हमेशा या तो बीते और गुजर चुके हुए राजनेताओं की आलोचना करते हैं। (खास कर के नेहरू की ) या फिर भविष्य की बात करते-करते 2047 में पहुंच जाते हैं। आपको याद दिलाना मेरा फर्ज है कि हमारे यही प्रधानमंत्री जी 2022 से बहुत पहले इसी लाल किले से किसानों की आमदनी 2022 में दुगना करने का ऐलान कर चुके हैं। आपको हमारे प्रधानमंत्री जी के राजनीतिक कुशलता का कायल होना चाहिए, बल्कि मैं तो यहां तक कहूंगा कि वर्तमान देश सहित विश्व के हर एक राज नेता को हमारे प्रधानमंत्री जी को अपना गुरु मान लेना चाहिए। क्योंकि मेरी जानकारी में शायद ये पहले प्रधानमंत्री होंगे, जो लाल किले से और राष्ट्रीय पर्व के उपलक्ष में भी चुनावी भाषण दे सकते हैं। (वैसे कोई बुराई भी नहीं है, क्योंकि जब सारा राष्ट्र ही हमारे प्रधानमंत्री अपने आप स्वयं में समाहित कर चुके हैं। तो वह जो चाहे जहां चाहे और जैसा चाहे भाषण दे सकते हैं।) और आम जनता का आह्वान कर सकते हैं, कि 2024 में जब मैं (यानी वर्तमान प्रधानमंत्री जी) झंडा फहराऊ गए तो क्या करूंगा।
आप मेरी बातों को और अधिक से इस लिक के माध्यम से समझ सकते हैं।
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माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी वर्तमान की बात नहीं करते हैं
हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी वर्तमान में रहना पसंद नहीं करते और मजे की बात यह है कि अपने स्वयं के द्वारा कही गई पिछले भाषण की भी बातें भी याद नहीं रखते है। आनंद का विषय है कि माननीय प्रधानमंत्री जी कोई परवाह भी नहीं करते हैं कि अपने पिछले भाषण में क्या बोले थे। उसमें क्या-क्या उन्होंने और उनकी सरकार ने किया और क्या क्या करना रह गया । सामान्यतया मेरी समझ यह है कि सरकार शब्द का उपयोग करना अनुपयोगी है। क्योंकि वर्तमान दौर में हमारे प्रधानमंत्री जी ही सब कुछ है और वही सरकार है।
इसका कोई जिक्र नहीं करते है। फक्र की बात यह है की उसके बाद भी अत्यधिक लोकप्रिय और देश के सर्वमान्य नेता बने हुए। (मीडिया के माध्यम से)
विचार यह करना है कि किस प्रजा के नेता हमारे प्रधानमंत्री है।
प्रजा शब्द का उपयोग मैंने इसलिए किया क्योंकि जिस तरह की लोकप्रियता हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री जी की है। वैसी लोकप्रियता प्रजा ही कर सकती है।
लोकतंत्र में आम जनता अपने नेता से सवाल करती है, और पहले की गई बातो का हिसाब मांगती है ।
जो कि वर्तमान जनता जोकि अब प्रजा में तब्दील हो चुकी है,नहीं कर रही है।
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की महंगाई पर की गई भाषण बाजी
देश के कुछ मीडिया संस्थान हमारे प्रधानमंत्री जी के द्वारा महंगाई पर की गई भाषण बाजी पर ध्यान नहीं देते हैं।और यह उनके भाषण से लगभग 12 घंटा पहले ही छाप देते हैं कि अब तक की सबसे अधिक महंगाई की दर जुलाई माह में है। प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण पर कहा है कि मेरे मेरे द्वारा महंगाई कम करने का प्रयास किया जा रहा है। और उन्ही प्रयासों का परिणाम है कि महंगाई दर कम हुई है। (भले ही मीडिया के कुछ संस्थान महंगाई की दर को सर्वोच्च माने, परंतु आपको यह मानना पड़ेगा कि महंगाई इससे ज्यादा भी हो सकती थी। यह तो प्रधानमंत्री जी के प्रयासों और कार्यों का परिणाम है कि अभी महंगाई यहीं पर स्थिर है) आम जनता को समझ लेना चाहिए कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भाषण देना ही उनके प्रयास का सर्वोत्तम कार्य है। अगर भाषण देने से महंगाई कम हो सकती है तो डर के मारे हो जाए अन्यथा इससे अधिक आम जनता उम्मीद नहीं कर सकती है। और न ही आम जनता को उम्मीद करने का कोई अधिकार ही है। क्योंकि यही आम जनता प्रधानमंत्री को इन्हीं सब भाषणों के लिए बल्कि यह कहूंगा कि इन्हीं सब भाषणों से प्रभावित होकर चुना है।
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी सपनों के सौदागर है।
सपने दिखाते हैं,सपने दिखाते हैं,और सपने दिखाते हैं,दिखाए हुए सपनों का कभी मूल्यांकन न प्रधानमंत्री जी खुद करते है,और न ही उनकी मीडिया और न ही प्रजा (प्रचलित नाम भक्त) के द्वारा। कि पिछले दिखाए हुए सपनों का क्या हुआ।
दिखाए गए सपनो की लिस्ट बहुत लम्बी है। उसे यहां लिखा नही जा सकता।
और लिखने का कोई मतलब भी नही है।
क्योंकि आदि आप आम जनता है और सवाल करते है, तब भी आप की कोई और कही सुनवाई नही होगी।
और अगर आप प्रजा (प्रचलित नाम भक्त) है तो आप के मन में सवाल आ ही नही सकता।
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मणिपुर के बारे में कोई जिक्र नहीं।
भाषण के दौरान मणिपुर का या हरियाणा हिंसा का किसी का सुकून जिक्र तक माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा नहीं किया जाना भी उन्हें एक श्रेष्ठ और चतुर राजनेता कहा जा सकता है।
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