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महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाएं

by satat chhattisgarh
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छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास द्वारा संचालित योजनाएं

छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास द्वारा महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जाता है यहां पर हम इस ब्लॉग के माध्यम से आप को छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाएं

स्वावलंबन योजना

पात्रता:- ऐसी महिलाओं जिनके पति की मृत्यु हो चुकी है अथवा 35 से 45 आयु वर्ग की अविवाहित महिलाओं अथवा कानूनी तौर पर तलाकशुदा महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। यौन उत्पीड़न, एचआईवी पाजिटिव एवं तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी योजना का लाभ लेने की पात्रता रखेगी।

प्रशिक्षणः- समस्त प्रशिक्षण मुख्यमंत्री कौशल विकास योजनांतर्गत व्ही.टी.पी. के माध्यम से दिये जाते है।

सम्पर्कः-जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना अधिकारी/पर्यवेक्षक/आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।

सक्षम योजना

योजना छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा 2009-10 से आरम्भ की गई है।

पात्रताः- प्रदेश में गरीबी रेखा अन्तर्गत जीवन-यापन करने वाली ऐसी महिलाओं जिनके पति की मृत्यु हो चुकी है अथवा 35 से 45 आयु वर्ग की अविवाहित महिलाएं अथवा कानूनी तौर पर तलाकशुदा महिलायें। यौन उत्पीड़न, एचआईवी पाजिटिव एवं तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी योजना का लाभ लेने की पात्रता रखेगी।

ऋण:- स्वयं का व्यवसाय आरम्भ करने हेतु ऋण सीमा में वृद्धि करते हुए 40 हजार रूपये के गुणांक में राशि 02 लाख रूपये तक ऋण आसान किश्तों में ऋण प्रदाय किया जाता है। उक्त ऋण की वापसी 5 वर्षों में केवल 3 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज दर पर किस्तों में की जाती है। यह संशोधन आदेश दिनांक 28.09.2021 से लागू है।

नवाबिहान योजना

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के क्रियान्वयन के लिए राज्य शासन द्वारा नवाबिहान योजना संचालित है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक जिले में महिला संरक्षण अधिकारी की पदस्थापना की गई है।

सुविधा व सहायताः-योजना के अंतर्गत पीड़ित महिला को आवश्यकतानुसार विधिक सलाह, परामर्श, चिकित्सा, सुविधा, परिवहन तथा आश्रय सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रावधान रखा गया है।

सम्पर्कः-जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना अधिकारी/संरक्षण अधिकारी/सखी के केन्द्र प्रशासक।

ऋण योजना

उद्देश्यः-छत्तीसगढ़ राज्य में महिलाओं को समाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त किये जाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा महिला स्व-सहायता समूहों को आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराना।

पात्रता एवं ऋण:-योजना अंतर्गत 3 प्रतिवर्ष वार्षिक साधारण ब्याज दर पर प्रथम बार में 1.00 लाख से 2.00 लाख रूपये तक (वसूली 24 किस्तों में) तथा द्वितीय बार में 2.00 लाख से 4.00 लाख रूपये तक का ऋण(वसूली 36 किस्तों में प्रदाय किया जाता है। यह संशोधन आदेश दिनांक 28.09.2021 से लागू है।

यौन उत्पीड़न एवं एच.आई.व्ही. पीड़ित महिलाओं को शासकीय चिकित्सक द्वारा प्रदाय चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर आर्थिक गतिविधियों से जोड़े जाने हेतु प्राथमिकता के आधार पर पात्रता की अन्य शर्ते पूर्ण करने पर ऋण प्रदान किया जा सकेगा ।  इन महिलाओं को जिला प्रबंधक, छत्तीसगढ़ महिला कोष के माध्यम से प्रस्तुत प्रस्तावों पर जिला कलेक्टर स्वीकृति उपरांत 10000/-रूपये (शब्दों में रूपये दस हजार मात्र) का व्यक्तिगत ऋण 3 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर पर उपलब्ध कराये जायेंगे। इन महिलाओं द्वारा स्व-सहायता समूह का गठन किये जाने पर समूह को 1.00 लाख (शब्दों में रूपये एक लाख मात्र) की ऋण राशि 3 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर पर स्वीकृत की जावेगी। यह ऋण जिला कलेक्टर के अनुमोदन से संबंधित जिला प्रबंधक प्रदान करेंगे। योजना के तहत अन्य शर्ते यथावत रहेंगी। तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी इन योजना का लाभ लेने की पात्रता रखेगी।

संस्कार अभियान

संस्कार अभियान का मुख्य उद्देश्य गर्भ धारण से 06 वर्ष की आयु तक बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक आधार भूत संरचना , वातावरण एवं गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन करना है।संस्कार अभियान के अंतर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों का आकर्षक रंग रोगन , बच्चों के बैठने की जगह , विभिन्न गतिविधियों के लिए स्थान का चिन्हांकन , बच्चों की सुविधा के अनुरूप विभिन्न शैक्षणिक सामग्री का प्रदर्शन , आकर्षक वातावरण का निर्माण , प्रत्येक वस्तु हेतु निर्धारित स्थान एवं सुव्यवस्थित कक्ष जैसी बातों पर ध्यान दिया गया है।

संस्कार अभियान के तहत आंगन बाड़ी केन्द्रों को संसाधन सामग्री उपलब्ध कराई गई है , जिसमें प्रारंभिक बाल्या वस्था देख रेख एवं शिक्षापाठ्य चर्या]आंगनबाड़ी केंद्र में शालापूर्व शिक्षा प्रदाय के लिए 52 सप्ताह के समय – सारिणी , लगभग 360 गतिविधि युक्त गतिविधि कोष]थीम पुस्तिका ]3-6 वर्ष के बच्चों के लिए आयु अनुसार पृथक-पृथक गति विधि पुस्तिकाए वं बाल आकलन पत्रक शामिल है।

मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना

मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना वर्ष 2009 से प्रारंभ की गई है।गंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण के चक्र से बाहर लाकर कुपोषण की दर में कमी हेतु योजना का संचालन किया जा रहा है।योजना के तहत गंभीर कुपोषित एवं संकटग्रस्त बच्चों को चिकित्सकीय परीक्षण की सुविधा , चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाएं तथा आवश्यकतानुसार बाल रोग विशेषज्ञों की परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

  • प्रत्येक विकासखंड में माह में 2 दिवस संदर्भ दिवस के रूप में चिन्हांकित करने का प्रयास।
  • बच्चों के संक्रमण की पहचान।
  • निजी चिकित्सा परीक्षण संस्थान में अधिकतम 300/-रूपये सीमा तक स्वास्थ्य जाWच की व्यवस्था।
  • एक हितग्राही को वर्ष भर में अधिकतम 500/-रूपये तक की दवाएं तथा आवश्यकता होने पर चिकित्सा अधिकारी के परामर्श से इससे अधिक राशि की दवाए भी उपलब्ध कराई जा सकेगी।
  • निजी शिशु रोग विशेषज्ञ की सेवा पर सम्मान स्वरूप 1000/- रूपये का मानदेय एवं 500/-रुपये तक यात्रा व्यय का प्रावधान।
  • इसके अतिरिक्त वर्ष 2016&17 से आवश्यकता पड़ने पर कुपोषित बच्चों के परिवहन के लिए भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राशि उपलब्ध कराई गई है।

पोषण अभियान

भारत सरकार द्वारा कुपोषण के स्तर में कमी लाने के लिए एक वृहत अभियान के रूप में पोषण अभियान का शुभारंभ किया गया है।यह शुभारंभ 08 मार्च 2018 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा झुंझूनू , राजस्थान में किया गया है।पोषण अभियान देश के सभी राज्यों में वित्तीय वर्ष 2017-18 से आगामी तीन वर्षों में चरण बद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।प्रथम चरण में राज्य के 12 जिलों को लिया गया था तथा द्वितीय चरण वर्ष 2018-19 से शेष 15 जिलों को लिया गया है।इस प्रकार राज्य के सभी 27 जिलों में पोषण अभियान क्रियान्वित है।पोषण अभियान के लक्ष्य एवं घटकांे का विवरण निम्नानुसार है:-

अभियान के लक्ष्यपोषण अभियान का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित किया गया है , जिसके अनुसार 0 से 6 वर्ष आयु समूह के बच्चों , गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं में विद्यमान कुपोषण स्तर को चरण बद्ध तरीके से प्रति वर्ष 02 प्रतिशत की कमी लाते हुए 03 वर्षों में 06 प्रतिशत की कमी लाना लक्षित किया गया है।

महतारीजतन योजना

योजना के तहत आंगनवाड़ी केन्द्र के माध्यम से आकर्षक थाली गर्भवती महिलाओं को पृथक-पृथक मेन्यू अनुसार प्रदाय की जा रही है]जिसमें चांवल, दाल, रोटी, रसेदार व सूखी सब्जी, अचार, पापड़ सलाद आदि दिया जा रहा है।इसके अतिरिक्त महिलाओं को घर ले जाने हेतु प्रतिदिन 75 ग्राम के मान से (सप्ताह में 06 दिवस हेतु) 450 ग्राम का साप्ताहिक पैकेट रेडी टू ईट दिया जाने का प्रावधान है।प्रदेश में लगभग 1-61 लाख महिलाओं को इस योजना से लाभांवित किया जा रहा है।वर्ष 2019&20 में इस हेतु 23-50 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है।

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना

उद्देश्यः- गरीब परिवारों को कन्या के विवाह के संदर्भ में होने वाली आर्थिक कठिनाईयों का निवारण, विवाह के अवसर पर होने वाले फिजूलखर्ची को रोकना एवं सादगीपूर्ण विवाहों को बढ़ावा देने, सामूहिक विवाहों के आयोजन के माध्यम से मनोबल/आत्मसम्मान में वृद्धि एवं उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार, सामूहिक विवाहों का प्रोत्साहन तथा विवाहों में दहेज के लेन-देन की रोकथाम करना।

योजनांतर्गत सहायता

गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवार/मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना अन्तर्गत कार्डधारी परिवार की 18 वर्ष से अधिक आयु की अधिकतम दो कन्याओं को योजना अन्तर्गत लाभ दिलाया जाना है। योजना अन्तर्गत प्रत्येक कन्या के विवाह हेतु अधिकतम 25,000/- रूपये की राशि व्यय किए जाने का प्रावधान है। इसमें से वर-वधु हेतु श्रृंगार सामग्री पर राशि 5,000/- रूपये, अन्य उपहार सामग्री पर राशि 14,000/- रूपये, वधु को बैंक ड्राफ्ट के रूप में राशि 1,000/- रूपये तथा सामूहिक विवाह आयोजन पर प्रति कन्या राशि 5,000/-रूपये तक व्यय की जा सकती है। राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना अन्तर्गत विधवा/अनाथ/निराश्रित कन्याओं को भी शामिल किया गया है।

संपर्क आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवक्षेक, बाल विकास परियोजना अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी।

एकीकृत बाल संरक्षण योजना

विधि विवादित बच्चे तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संस्थागत देखरेख कार्यक्रम:-

किशोर न्याय अधिनियम/समेकित बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत राज्य में संस्थागत देखरेख कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं । देखेरख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के लिए राज्य में शासकीय बालगृह एवं अशासकीय बालगृह, खुला आश्रय गृह, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी संचालित है जबकि विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों के लिए राज्य में शासकीय सम्प्रेक्षण गृह, विशेष गृह एवं प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है।

  • बाल सम्प्रेक्षण गृह –
  1. विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बच्चों को किशोर न्याय बोर्ड के आदेश पर बाल सम्प्रेक्षण गृह में रखा जाता है।
  2. राज्य के रायपुर]दुर्ग]बिलासपुर]अम्बिकापुर]जगदलपुर]कोरबा एवं रायगढ़ में बालकों के लिए तथा राजनांदगांव में बालिकाओं के लिए सम्प्रेक्षण गृह संचालित है।
  • विशेष गृह –
  1. किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दोषी पाये जाने उपरांत बच्चों को सुधारात्मक उपचार हेतु विशेष गृह में रखने का आदेश दिया जाता है। इसी प्रकार नवीन किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अनुसार गंभीर श्रेणी के विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बच्चों को विशेष गृह में रखा जा सकता है।
  2. वर्तमान में दुर्ग एवं अम्बिकापुर में बालकों के लिए तथा राजनांदगांव में बालिकाओं के लिए विशेष गृह संचालित है।
  • प्लेस ऑफ सेफ्टी –
  1. किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 19(3)के अनुसार विधि विरूद्ध कार्य करने वाले ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 16 वर्ष से अधिक है एवं जिन्होंनेे गंभीर अपराध किया है उन्हें किशोर न्याय बोर्ड/बाल न्यायालय के आदेश पर प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा जा सकता है।
  2. वर्तमान में रायपुर एवं बस्तर में 25-25की क्षमता का प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है।
  • खुला आश्रय गृह –
  1. घुमन्तू सड़क पर कचरा बीनने वाले बच्चे जिन्हें परिवार का सहयोग नहीं मिलता अथवा संकटग्रस्त ऐसे बच्चे जो बाल श्रमिक है पर बाल श्रम अधिनियम के अंतर्गत नही हैं। ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने व दिन-रात आश्रय प्रदान करने हेतु बालकों के लिए खुला आश्रय गृह राज्य के रायपुर,दुर्ग,बिलासपुर, रायगढ़,जशपुर,अंबिकापुर,बस्तर,दंतेवाड़ा एवं कोरबा में संचालित है।
  • बालगृह –
  1. देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले ऐसे बच्चे जिन्हें दीर्घ अवधि के लिए आश्रय,देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता होती है उन्हें बालक कल्याण समिति के आदेश पर बाल गृह में रखा जाता है। राज्य में 06शासकीय एवं 45अशासकीय बालगृह संचालित हैं
राज्य में संचालित शासकीय बालगृह
क्र. संस्था का नाम डाक का पूरा पता जिले का नाम संस्था की प्रकृति
1 शासकीय बालगृह माना कैम्प , रायपुर रायपुर बालगृह (बालिका)
2 शासकीय बाल गृह माना कैम्प , रायपुर रायपुर बालगृह (बालक)
3 शासकीय बाल गृह वृंदावन काॅलोनी, जगदलपुर, बस्तर बस्तर बालगृह (बालक)
4 शासकीय बाल गृह पंाच बिल्डिग, वन परिसर, दुर्ग (छ.ग) दुर्ग बालगृह (बालक)
5 शासकीय बाल गृह नूतन काॅलोनी चैक, सरकंडा, बिलासपुर बिलासपुर बालगृह (बालिका)
6 शासकीय बाल गृह शिक्षक काॅलोनी, कवर्धा कबीरधाम बालगृह (बालक)
  • दत्तक ग्रहण स्थापन एजेन्सी –
  1. परित्यक्त तथा समर्पित बच्चे जिन्हें दत्तक पर दिया जाना होता है,उन बच्चों के लिए कार्यवाही दत्तक ग्रहण स्थापन एजेन्सी द्वारा की जाती है। इनकी क्षमता 10 बच्चों की होती है। वर्तमान में राज्य में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर (दो ईकाई),रायगढ, दंतेवाडा,महासमुंद,कांकेर,कवर्धा, जशपुर एवं अम्बिकापुर में दत्तक ग्रहण एजेन्सी स्थापित है।

गैर संस्थागत देखरेख कार्यक्रम–

  1. स्पांसरशिप कार्यक्रम –
    इस कार्यक्रम के अंतर्गत देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को 2 हजार रूपये प्रतिमाह के मान से अधिकतम तीन वर्ष के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए बच्चे के जैविक माता-पिता के सान्निध्य में रखते हुए बच्चे की सुरक्षा एवं संरक्षण सुनिश्चित किया जाना होता है। यह कार्यवाही किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रकाश में की जाती हैं।
  2. फास्टर केयर कार्यक्रम-फास्टर केयर कार्यक्रम के अंतर्गत पारिवारिक देखरेख से वंचित बच्चों को अधिकतम तीन वर्ष के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति/परिवार की देखरेख में रखा जा सकता है ताकि बच्चे की सुरक्षा एवं सरंक्षण सुनिश्चित हो सके। योजना के अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए उपयुक्त व्यक्ति/संस्था को 2 हजार रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। यह कार्यवाही किशोर न्याय (देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015,के प्रकाश में की जाती हैं।
  3. आफ्टर केयर कार्यक्रम – यह कार्यक्रम उन बच्चों के लिए है जो संस्थागत देखरेख में है एवं 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के पश्चात् सामाजिक/शारीरिक /मानसिक/आर्थिक रूप से स्वयं की देखभाल करने मे असमर्थ है। आफ्टर केयर कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन गतिविधियों की व्यवस्था की जाती है जिससे वह स्वयं को सामाजिक/शारीरिक/मानसिक/आर्थिक रूप से सशक्त करते हुए समाज की मुख्य धारा से जोड़ सके। योजना के अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए 2 हजार रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता अधिकतम 03 वर्ष अथवा 21 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, प्रदान करने प्रावधान है।

राज्य में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं का अनिवार्य पंजीयन –

किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 41के अनुपालन में राज्य में संचालित सभी बाल देखरेख संस्थाओं के निरीक्षण उपरांत अनिवार्य पंजीयन किया जाना है। प्रावघानके अनुपालन में राज्य शासन द्वारा समाचार पत्र में सूचना जारी कर सभी बाल देखरेख संस्थाओं को पंजीकरण हेतु आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये। तत्पश्चात् जिला कलेक्टर की अनुशंसा पर बाल देखरेख संस्थाओं को पंजीकृत/प्रावधिक पंजीकरण देते हुए किशोर न्याय अधिनियम के मापदण्डों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिये गये है।

एकीकृत बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत वैधानिक ईकाईयाँ

  • बाल कल्याण समिति
  1. किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत बाल कल्याण समिति सुरक्षा एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के संबंध में निर्णय देने के लिए सक्षम प्राधिकारी है । राज्य के सभी 27 जिलों में बालक कल्याण समिति गठित है ।
  2. समिति में एक अध्यक्ष एवं 4 सदस्य (एक महिला सदस्य) होते हैं। यह समिति मजिस्टेªट के रूप में कार्य करती है और इन्हें वह सभी शक्तियां प्राप्त है जो दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का दो) द्वारा किसी महानगरीय न्यायिक मजिस्टेªट को प्रदत्त की गई है ।
  3. समिति का गठन राज्य स्तरीय चयन समिति जो कि उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित की गई है, के द्वारा किया जाता है ।
  • किशोर न्याय बोर्ड –
  1. किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के संबंध में निर्णय देने के लिए सक्षम प्राधिकारी किशोर न्याय बोर्ड है ।
  2. बोर्ड में एक अध्यक्ष एवं दो सदस्य (एक महिला सदस्य) होते हैं । बोर्ड के अध्यक्ष प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्टेªट हैं जबकि सदस्यों के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता का चयन राज्य स्तरीय चयन समिति द्वारा किया जाता है ।
  3. राज्य के सभी 27 जिलों में किशोर न्याय बोर्ड गठित है।
  • विशेष किशोर पुलिस इकाई –
  1. किशोर न्याय अधिनियम की धारा 107 के प्रावधानों के अनुसार पुलिस प्रशासन द्वारा सभी पुलिस जिलो में विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया गया है।
  2. इकाई के अन्तर्गत उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी बालक कल्याण अधिकारी के रूप में नामित है ।
  3. यह इकाई देखेरख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों एवं विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों के मामलों को सक्षम प्राधिकारी तक पहुंचाती है ।

पूरक पोषण आहार कार्यक्रम

समेकित बाल विकास परियोजनाओं में पूरक पोषण आहार की व्यवस्थाः-

प्रदेश में एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (आई.सी.डी.एस) अंतर्गत आँगनवाडी केन्द्रों द्वारा दी जाने वाली छः सेवाओं में से पूरक पोषण आहार एक महत्वपूर्ण सेवा हैं । आँगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 3 वर्ष आयु के बच्चों, 3 वर्ष से 6 वर्ष आयु के बच्चों तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जाता हैं । हितग्राहियों को वर्तमान में प्रदाय किये जा रहे पूरक पोषण आहार का विवरण निम्नानुसार हैं –

नाश्ता एवं गर्म पका हुआ भोजन:-

आँगनवाडी केन्द्रों में आने वाले 3 से 6 वर्ष के आयु के सामान्य एवं गंभीर कुपोषित बच्चों को गर्म पके हुए भोजन (105 ग्राम) के साथ-साथ नाश्ता भी दिया जाता हैं । नाश्ते में रेडी टू ईट फूड (75 ग्राम), उबला भीगा चना, देशीगुड़ (50 ग्राम), भुना मुंगफली दाना, गुड़ (38 ग्राम) प्रतिदिन अलग-अलग नाश्ता चक्रानुक्रम में प्रदाय किया जाता हैं । 3 से 6 वर्ष आयु के गंभीर कुपोषित बच्चों को उपरोक्तानुसार नाश्ता एवं गर्म पके हुए भोजन के साथ अतिरिक्त रूप से रेडी-टू-ईट फूड (85 ग्राम) का प्रदाय किया जाता हैं । नाश्ता एवं चावल आधारित गर्म पके हुए भोजन का प्रदाय महिला स्व सहायता समूहों, ग्राम पंचायतो, नगरीय निकायों के माध्यम से किया जा रहा हैं ।

रेडी-टू-ईट फूड :-

6 माह से 3 वर्ष के आयु के सामान्य बच्चों को 135 ग्राम, 6 माह से 3 वर्ष आयु के गंभीर कुपोषित बच्चों को 211 ग्राम तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को 165 ग्राम रेडी-टू-ईट फूड का प्रदाय प्रतिदिन के मान से टेक होम राशन के अंतर्गत साप्ताहिक रूप से किया जाता हैं । गेहूँ आधारित रेडी-टू-ईट फूड का निर्माण एवं प्रदाय का कार्य महिला स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा हैं । पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत 6 माह से 6 वर्ष के 20.84 लाख बच्चों तथा 4.69 लाख गर्भवती व शिशुवती महिलाओं, इस प्रकार कुल 25.53 लाख हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा हैं । वित्तीय वर्ष 2013-14 में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम हेतु 460 करोड़ रू. का बजट प्रावधान किया गया हैं ।

किशोरी बालिकाओं के सशक्तिकरण से संबंधित सबला योजना अंतर्गत पूरक पोषण आहार कार्यक्रमः-

किशोरी बालिकाओं के सशक्तिकरण से संबंधित सबला योजना के अंतर्गत किशोरी बालिकाओं को भी पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जा रहा है । योजना के अंतर्गत 11 से 14 वर्ष आयु की शाला त्यागी किशोरी बालिकाओ तथा 14 से 18 आयु वर्ग की सभी किशोरी बालिकाओं को प्रतिदिन 5/- रू. के मान से पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जा रहा हैं । इस योजना में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, केन्द्र प्रवर्तित योजना के रूप में लागू किया गया हैं, अर्थात् पूरक पोषण आहार कार्यक्रम पर होने वाले वास्तविक व्यय का 50 प्रतिशत केन्द्र शासन द्वारा तथा 50 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा वहन किया जा रहा है । सबला योजना राज्य के रायपुर, बस्तर, रायगढ़, राजनांदगांव गरियाबंद, बलौदाबाजार, कोण्डागांव सूरजपूर बलरामपुर एवं सरगुजा जिलों में लागू है।

महिला जागृति शिविर

योजना का उद्देश्यः-

महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों, प्रावधानों के प्रति जागृत करना, विभिन्न सामाजिक कुप्रथाओं के विरूद्ध महिलाओं को जागृत व संगठित करना तथा विभिन्न योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना।

आयोजन:-

विभाग द्वारा इस हेतु प्रदेश के ग्राम पंचायतों, जनपद एवं जिला स्तरों पर समय-समय पर महिला जागृति शिविरों का आयोजन किया जाता है।

सम्पर्कः-

जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना अधिकारी/पर्यवेक्षक/आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।

स्वैच्छिक संगठनों के लिए अनुदान

राज्य में महिला एवं बाल विकास तथा कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत विभागीय मान्यता प्राप्त स्वैच्छिक संगठनों को विभिन्न महिला एवं बाल कल्याण की गतिविधियों के संचालन में सहयोग प्रदान करने हेतु अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।

योजना का उद्देश्यः-

महिला एवं बच्चों के विकास तथा कल्याण के क्षेत्र में स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, इस क्षेत्र में कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को बढ़ावा देना तथा उन्हें विभिन्न महिला एवं बाल कल्याण की गतिविधियों के संचालन में सहयोग प्रदान करना / आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना ।

निम्नलिखित गतिविविधियों के लिए अनुदान दिये जाने का प्रावधान है:-

  • बाल कल्याण गतिविधियों हेतु अनुदान-बालवाड़ी सह दिवस देखभाल केन्द्र, झूलाघर, अनाथ / निराश्रित बच्चों के लिए बाल गृह, बाल विकास केन्द्र, बच्चों के कल्याण/विकास के लिए सृजनात्मक कार्य आदि ।
  • महिला कल्याण गतिविधियों हेतु अनुदान-शार्टहैण्ड / टायपिंग प्रशिक्षण, हेल्प लाईन सह परामर्श केन्द्र, निराश्रित महिला/मानसिक विज्ञिप्त महिलाओं के लिए महिला गृह, महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण, महिलाओं के कल्याण / विकास के लिए सृजनात्मक कार्य, प्रदेश के बाहर स्थित उत्कृष्ट प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थाओं / व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में महिलाओं को प्रशिक्षण आदि।
  • विविध अनुदान – महिला एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य, अन्य विविध कार्य / गतिविधि जो उपरोक्त गतिविधियों में शामिल न हो।

संपर्क:-

बाल विकास परियोजना अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी / जिला कार्यक्रम अधिकारी, संबंधित जिला कलेक्टर।

किशोरी बालिकाओं के लिए योजना

भारत शासन द्वारा किशोरी बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए नवीन सबला योजना 19 नवंबर 2010 से प्रारंभ की गई है । योजना देश के 200 जिलों में पायलेट रूप में प्रारंभ की गई है जिसमें छत्तीसगढ़ के 10 जिले – रायपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, बस्तर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, कोण्डागांव, बलरामपुर, सूरजपूर एवं सरगुजा शामिल हैं । योजनांतर्गत 11-18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं के लिए निम्नानुसार गतिविधियां आयोजित की जाती है –

  1. पोषण आहार प्रदाय
  2. आईएफए टेबलेट वितरण
  3. स्वास्थ्य जांच एवं संदर्भ सेवा
  4. स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा
  5. परिवार कल्याण, ARSH (Adoloscent Reproduction and Sexual Health) बच्चों की देखभाल एवं गृह प्रबंधन पर मार्गदर्शन
  6. लाईफ स्किल एजुकेशन एवं लोक सेवाओं तक पहुंच
  7. व्यवसायिक प्रशिक्षण

महिला स्व-सहायता समूह गठन एवं सशक्तिकरण

जिलों से प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार 68071 महिला स्व-सहायता समूह गठित किये गये है । जिनके तहत लगभग 8.03 लाख महिलाएं संगठित हुई है, तथा इन समूहों द्वारा 53.08 करोड़ रूपये की राशि बचत की गई है । प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्कूल मध्यान्ह भोजन, आंगनबाड़ी पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, आंगनबाड़ी केन्द्र के हितग्रहियों के लिए रेडी टू ईट एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकान के संचालन के साथ-साथ विभिन्न कार्यो को कार्य किया जा रहा है ।

योजना का उद्देश्य:-

  • असंगठित ग्रामीण महिलाओं को संगठित करना।
    महिलाओं को समूह में छोटी-छोटी बचत करने तथा अपनी छोटी-मोटी जरूरतों की पूर्ति हेतु समूह में ही न्यूनतम दर पर लेन-देन हेतु सक्षम बनाने में सहयोग प्रदान करना।
    महिलाओं का सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण।

संपर्क:-

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक,बाल विकास परियोजना अधिकारी,जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी,जिला कार्यक्रम अधिकारी, संबंधित जिला कलेक्टर।

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