दिल्ली सर्विस विधेयक 2023 लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हो गया। सोमवार को संसद के ऊपरी सदन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 लंबी बहस और चर्चा के बाद यह विधेयक दोनों सदनों में पारित हो गया। विधेयक को लेकर हुए वोटिंग में बिल के समर्थन में 131 वोट, जबकि इसके विरोध में 102 वोट को सहमति बनी। गौरतलब है कि 3 अगस्त को लोकसभा में यह बिल ध्वनिमत से पास हो गया था उसके बाद 7 अगस्त को यह बिल 131 सदस्यों के सहमति से राज्यसभा से भी पास हो गया। दोनों सदनों में पारित होने के बाद अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा जहाँ उनके हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून बन जाएगा।
दिल्ली सर्विस बिल पर जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, कि “सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर काम करने का अधिकार केंद्र को दिया है।और सेवा का अधिकार राज्य को देने की बात कही है,लेकिन इसमें यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। और इस किसी भी में सेवाएं भी शामिल हैं। संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार संविधान ही देता है। इसलिए यह संसोधन जरूरी है।
दिल्ली सर्विस बिल में ये बदलाव किए गए है।
गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 (GNCT) में केंद्र सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इस बदलाव में सेक्शन- 3ए जो पहले अध्यादेश का हिस्सा था, उसे अब इस विधेयक से हटा दिया गया है। सेक्शन-3-ए में कहा गया था कि किसी भी अदालत के किसी भी फैसले, आदेश या डिक्री में कुछ भी शामिल होने के बावजूद विधानसभा को सूची-2 की प्रविष्टि 41 में शामिल सभी मामले को छोड़कर विधानसभा को आर्टिकल 239 के अनुसार कानून बनाने की शक्ति होगी। अब ये अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं होगा। पिछले अध्यादेश के अनुसार NCCSA को संसद और दिल्ली विधानसभा में सालाना रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य था जिस अनिवार्यता को अब यह विधेयक हटा देता है। अब किसी रिपोर्ट को संसद और दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखे जाने की विशेष जरूरत ही नहीं रहेगी। पारित बिल के सेक्शन 45-डी के अनुसार दिल्ली में अलग-अलग अथॉरिटी, बोर्डों, आयोगों और वैधानिक निकायों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार सिर्फ दिल्ली सरकार तक सीमित नहीं रहेगी। नए प्रावधान के तहत अब NCCSA समिति की सिफारिशों के अनुसार दिल्ली सरकार के बोर्डों और आयोगों में नियुक्तियां तथा तबादले करेंगे। समिति में मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव सदस्य होंगे, सीमित की अध्यक्षता दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे।
11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने दिल्ली में अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था। अदालत ने कहा था कि दिल्ली सरकार यह कार्य उपराज्यपाल की सलाह पर ही करेंगे। फैसले के एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने संसद में अध्यादेश लाकर कोर्ट के इस फैसले को बदल दिया। अध्यादेश में केंद्र सरकार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार से लेकर राज्यपाल को दे दिया। दिल्ली सर्विस बिल कानून बनने के बाद केंद्र सरकार के इसी अध्यादेश की जगह लेगा।