वह कक्षा सातवीं में पढ़ती थी, बैकबेंचर्स थी
अंग्रेजी वाले टीचर की आँखों में चुभती थी वह
उसे भी अंग्रेजी की गिटिर-पिटिर कम ही समझ आती
बहुत दिनों से स्कूल की बेंच पर बैठे हुए
उसे किसी ने नहीं देखा
वह अचानक लापता सी हो गई
अब बच्चे बताते हैं कि गाय पर निबंध लिखते वक्त
आयतू की लापता बेटी का भूत ब्लैकबोर्ड पर
गाय का चित्र बनाते हुए दिखाई देता है
वह सुंदर चित्र बनाती थी, वह चित्रकार थी न
एक दिन पटवारी भागा-भागा आया
नुक्कड़ पर हांफते हुए आयतू को गालियां बकने लगा
जमीन का वह हिस्सा हेलीपैड के भीतर आ रहा था
जिस पर धान की अच्छी फसल लगती
तुम साले आदिवासी, जंगली, मरने के बाद
अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं करते बे
आयतू की लापता बेटी का भूत
हेलीपैड पर अपने दोनों पंख फैलाये हुए उड़ता रहता है
वह उड़ना जानती थी, वह परी थी न
इन्द्रावती नदी की तेज लहरों के बीच
सागौन के मोटे-मोटे गट्ठरों पर बैठकर कुछ लोगों के लिए नदी पार करना आसान होता है
वह बड़ा वन अफसर आयतू की कमर पर लटकी हुई ‘तुरही’ एक ही झटके में खींचकर
नदी में फेंकते हुए चिल्लाया
बड़ा आया है जंगल का दावेदार
कंधे पर टंगा कुल्हाड़ी जप्त करते हुए
थानेदार ने गोलियां गिनकर दिखाई अपनी पिस्तौल में
आयतू की बेटी का भूत नदी के बीचों-बीच
सागौन के गट्ठरों को खोलकर लकड़ियाँ नदी के इस पार फेंकता जा रहा था
वह पानी के बीचों-बीच छप छपा-छप करता हुआ
दृश्य के कभी अंदर कभी बाहर हो रहा था
वनरक्षकों ने भी देखा, सरपंच ने, गाँव वालों ने, सबने देखा
वह तैरना जानती थी, वह तैराक थी न
कुछ पूंजीपति
आयतू की कमीज पकड़कर उसे घसीटते हुए
सड़क तक ले आये
एक भयानक स्वर में एक साथ ललकारते हुए उन्होंने कहा
तुम्हारे पुरखे नंगे मरे, तुम्हारी पीढ़ियां अनपढ़ मरेंगी
तुम्हारा जन्म हमारे जूठे बर्तनों को घिसने के लिए हुआ है
तुम बंधुवा मजदूर हो
तुम्हारी घर की स्त्रियां हमारे लिए
एक रात का मसाला भर हैं
कहते हैं सबकी जीभ काटकर
वहीं जंगल की मिट्टी में दफन कर दिया
आयतू की बेटी ने
तब से कहीं दिखाई नहीं दे रही है वह
शायद किसी ने गला रेतकर हत्या कर दी उसकी
हालांकि हो सकता है यह एक अफवाह हो
वह मुर्गा लड़ाना जानती थी, वह ‘कातिकार’ थी न
इन दिनों आयतू की लापता बेटी का भूत
चर्चा का विषय बना हुआ है
यह लिखते हुए मेरी आत्मा पर दो बार खट- खट जैसी कोई आवाज हुई
मुझे लग रहा है कि आयतू की लापता बेटी का भूत अब मेरे भीतर सुरक्षित है।