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पांडेय जी और दयाल बाबू की दुनिया – लालित्य ललित

डिपार्टमेंट है बिजली का

हुआ यह कि पांडेय जी एक सरकारी विभाग में बड़े बाबू है,डिपार्टमेंट है बिजली का,कभी कोई लोड बड़ाने के लिए आता है,घटाने को एक भी बंदा नहीं मिलता लाख ढूढने से भी।

आज सुबह विलायती राम पांडेय ने मन बना लिया था कि दफ़्तर के पास बनी डिस्पेंसरी में ही जाएंगे। मन बना लिया और गाड़ी को चुपचाप निकाल लिया।उससे पहले सुबह के चक्कर में वापसी का दूध बिना सैर किए ले आए।

अब वे थे और खुली सड़क।मो रफी के गाने रास्ते को सुगम बना  रहे थे,अगर देविका गजोधर होती तो लंबी दूरी का रास्ता भी नजदीक जान पड़ता।

बहरहाल पांडेय जी जैसे ही डिस्पेंसरी पहुंचे।सामने दयाल बाबू थे,ऐसे खिल गए जैसे सुदामा ने भगवान श्री कृष्ण का दर्शन कर लिया हो।एक महिला भी खड़ी थी,एक बार तो मन में विद्रोह हुआ,दयाल बाबू के साथ यह अवैध तार कैसे! लेकिन जल्द उन्होंने खुलासा कर दिया।

आइए आइए पांडेय जी आपका नम्बर लगा रखा है,पहले मेरा और दूसरा आपका।

पांडेय जी मामला भांप गए,झट कहा धन्यवाद।मैं पेट्रोल पंप पर रुक गया था,उसने आपको नमस्ते भिजवाया है कालीचरण गोडबोले ने।

अच्छा! अब दयाल बाबू का माइग्रेन छलांगे मारने को सन्नी देयोल की फिल्म बेताब की माफिक उछलने लगा था,पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

कुछ देर में गेट खुला और दयाल बाबू ने बाधा पार करते हुए प्रवेश खिड़की पर जा पहुंचे।उनकी हैरतंगेज छलांग देख एक बार पांडेय जी भी सकपकाए, कि अगर इस उम्र में गिर गिरा गए तो हड्डी रोग विशेषज्ञ की सहायता लेनी पड़ेगी।

बहरहाल कुछ विशेष नहीं हुआ।

चूंकि पांडेय जी सुबह निकल गए थे,इसलिए सृजन से वंचित हुए।लेकिन उनके दिमाग में चाय बनने और बनाने की प्लानिग चल रही थीं।

लीजिए मुलायजा फरमाए।

सरकारी डिस्पेंसरी का स्वागत कक्ष

आप की डिस्पेंसरी घर से दूर है

आप उठे और दौड़ पड़े

सड़कें खाली और आप का मन दौड़ रहा है

कुछ देर बाद आप है और आपके सामने पंजीकरण की खिड़की

खिड़की खुली है

एसी चल रहा है

क्लर्क जब तक काम नहीं करेगा

जब तक सफाई वाला टेबल साफ नहीं करेगा

कागज के नंबर नहीं तैयार होंगे

अब लाइन लंबी हुई

डॉक्टर का कुछ अता पता नहीं

आप अब कमरे के बाहर है

डॉक्टर अंदर है

वह पूछ रही है नाम बताओ

पेशेंट अपने बारे में बता रहा है

कि सर दर्द रहता है कभी कभी बैचेनी होती है

पढ़ने का काम रहता है मेरा

डॉक्टर ट्रैफिक में थीं कुछ परेशान भी

उसने कहा

आपको कार्डियक की भी शिकायत है

बल्ड परेशर की भी दिक्कत आपके चेहरे पर दिख रही है

पर्चा बना दिया है

आप चेक अप करवा लीजिए

और सुनिए

नेक्स्ट!

पहला वाला पेशेंट अपनी कथा बांच रहा था

पीछे खड़े किसी को भी अखंड कथा सुनने का मन नहीं था

हरि कथा कथा अनंता वाली बात हुई

अब कुछ और सोचते कि पांडेय जी कि अलबेली ने आकर कहा पांडेय जी टमाटर सस्ते हो गए, पांडेय जी ने कहा तो क्या करूं!इससे क्या होगा!! क्या फिर से जुबान पर स्वाद लौट आएगा! भीये हम जरा खानदानी टाइप है और हमारी जुबान पर स्वाद को आने के लिए भी सौ बार सोचना पड़ता है,अगर विश्वास नहीं तो राधेलाल से पूछ लो! अंतर्मन कुमार ने कहा क्या गजब करते हैं आप! राधेलाल को राम लुभाया से पूछना पड़ेगा,मामला संकट का हो जाएगा।

राम लुभाया कहेंगे,पहले क्यों नहीं पूछा,अच्छा पूछ भी रहे हो तो ऐसे पुष्टि कर लें पहले आप, कि राम लुभाया जी सब्जी में टमाटर का सेवन करना पसंद करेंगे अथवा नहीं! तो मैं विचार करूंगा और जब तक किसी नतीजे पर नहीं जाऊंगा तो टमाटर पर निर्णायक निर्णय कैसे के पाऊंगा! जरा सोचिए।

बात सही थीं।

पांडेय जी ने सोचा,मामला गंभीर है जिसे लेने पर समय तो लगेगा ही,हो सकता है वाक युद्ध भी न छिड़ जाएं। कसम पेलू राम पानवाड़िए की जो काम बन जाए वह ठीक और जिसे नहीं बनना हो तो उसका क्या कीजिएगा!

हरि राम की जय।अब यहां हरिराम कौन!

हरिराम राम खेलावन का गुरग्राम वाले घर का नया किराएदार।यह वह बंदा है जिसने पिछले छह महीने से किराया नहीं दिया, फुलमतिया ने राम खेलावन का माइग्रेन बड़ा दिया है,बेघर राम खेलावन घर से नहीं हुआ,विचारों से हुआ।बहरहाल आगे चलते है।

 

पांडेय जी के घर में रामप्यारी ने सफेदी शुरू करवा रखी है,सफेदी वाले भूत से कम नहीं होते, एक बार घर में घुस जाते है तो निकलने में समय लेते है,पर साहब हर कार्यक्रम की एक सीमा होती है,जब कोई भी समय निर्धारित किया जाता है तो वह खतम हो कर ही मानता है,बात आयोजन की हो या आयोजक के पेशेंस की,समझ जाइएगा,आपके लिए इशारा ही काफी है।

 

इधर फलाने जी दुबई निकलने वाले है तो महाकवि नाराज हो गए कि हमें तो कहा ही नहीं,लगे हाथ चल देते ,पैसे की कोई कमी नहीं।लेकिन फलाने जी इस बार मंडली को गच्चा देने के मूड में थे।

पांडेय जी ने सोचा,आज के जमाने में हर आदमी अपना स्पेस चाहता है कोई चांद पर पहुंच रहा है तो कोई देशी पी कर बिखरा पड़ा है,सारा खेल सेवन का है,यदि आप अच्छी वाली बोतल का सेवन करेंगे तो लंबी आयु को प्राप्त होंगे,अन्यथा कोरोणा काल का

हाल तो आप सभी ने देखा ही है।

सोचते हुए पांडेय जी विचारों में खो गए,खोना उन्हें पसंद है,और वैसे भी खोए की मिठाई वाकई स्वादिष्ट बनती है।

 

पार्क में बैठे हुए पांडेय जी ने सोचा कि बल्ड सेंपल की जांच का पिरोगराम कैंसिल करते है,रामप्यारी की खुशी के लिए।पहले पहल पांडेय जी गुस्सा हुए,पर साहब उनका गुस्सा जरा आंशिक टाइप का होता है, इधर सेंपल खून का कैंसिल हुआ उधर रामप्यारी ने मूंग दाल का हलवा काजू किशमिश के साथ प्रस्तुत किया, पांडेय जी भी खुश, कि ऐसी की तैसी हो मधुमेह की और उच्च रक्त चाप की,वैसे भी सोया चाप बनती भी शानदार है और मधुमेह का नाम सुनते ही उन्हें लपकुराम की महिला मित्र मधु याद आ गई,वैसे भी गर्ल फ्रेंड किसी को भी किसी भी उम्र में स्मरण आ जाएं तो बिना पिए भी तीन पैग का नशा होना आम बात है, पांडेय जी कहते भी है की शराब का सेवन गलत बात है,इसलिए कभी कभी जौ का पानी पीने से पीछे नहीं हटते,क्या करें ! सबको जीने का और मस्त रहने का मौलिक अधिकार हमारे संविधान में जो मिला हुआ है,समझें भाई साहब।

जय राम जी की,प्रभु का जितना सुमिरन किया जाएं उतना कम है,इसलिए जब भी समय मिलें,अपने धर्मों के अनुसार प्रभु का सम्मान करना चाहिए, उससे दो फायदे होते है,भगवान भी खुश और आंतरिक संवेदनाएं भी प्रसन्न रहती है।

 

बात तो पते की है,लेकिन आज लल्लू भइया और असंतुष्ट कुमार ऑफिस आएं नहीं, लल्लू भईया को पेचिस ने बुरा हाल कर रखा था और असंतुष्ट कुमार के सर में दर्द, पांडेय जी ने कहा भी कि भइया खुली हवा में सैर किया करो,प्रेमिका समझ कर, पांडेय जी ने अपना अनुभव बताया।

जब से पांडेय जी सैर पर जाने लगे है तब से मन सुबह यह कहता है कि उठो,जागो और चले आओ सुबह सुबह,जहां आक्सीजन भी निशुल्क है और ताजा दम भी,बात तो सही कहते है अपने होनहार पांडेय जी।

जिंदगी में यदि प्रेम नहीं तो मन अनेक तरह की अवधारणाओं में बीतता है,जैसे धौलपुर वाले दूर के फूफा चमरू भैया का,जब देखो सोशल मीडिया में अपने बचपन की तस्वीर लगाएं पगलाए रहते हैं।एक बात तो पांडेय जी ने कह भी दिया,

फूफा ऐसी हरकतें मत किया करो,कभी कोई छमिया किसी चक्कर में आ गई,तो कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे।

पर साहब फूफा कहां मानने वाले थे,

वह तो अच्छा हुआ कि जब राधेलाल ने अपना एक रोचक किस्सा बताया कि जो लपकुराम का था, कि एक महिला के प्रेम प्रसंग में फंस गए तो कैसे राधेलाल ने बचाया।

बात फूफा को समझ आ गई नहीं तो अपने खाते से पेंशन तक ट्रांसफर करने वाले थे।

क्या इश्क और क्या है इश्क का मुरब्बा!

जिसने प्रेम किया,यह मुसीबत के प्रपंच और उसकी किस्से कहानियां वही समझ सकता है।

बहरहाल यह कहानी जरा टेढ़ी सी है क्यों न देविका गजोधर से मिला जाएं।

पांडेय जी ने देविका को फोन लगाया और मिलने प्रेस कल्ब में चले गए; यह उनकी खास मुलाकात थीं जिसमें भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा लाजिमी थीं।

जब कि राधेलाल और रामखेलावन बड़े चिंतित थे कि आखिर यह कौन सी बैठक है जिसमें उनको शामिल नहीं किया गया,जबकि महाकवि और फलाने जी ने उन्हें कहा काहे चिंता करते हो!

अब देखिए दिल्ली में जी 20 की बैठक हो गई,क्या आपको बुलाया! नहीं बुलाया न! तो काहे चिंता करते हो!

अब जब पांडेय जी कोई सेटिंग को आकार देने में लगे है तो उन्हें उनके टाइप का मनन करने दीजिए,अपन भी अलग से बैठकी करते है,विदेश से आया विशेष पेय टेबल पर सुसज्जित हो गया,चखना भी और देर रात तक चिंतन शिविर में नए नए प्रस्तावों पर विमर्श होता रहा।

क्या निष्कर्ष हुआ,यह कोई नहीं जानता।

लेकिन पांडेय जी की बैठक लॉन्ग ड्राइव पर आरंभ हुई और ब्रेक फास्ट पर संपन्न हुई।

लगाए रहो अटकलें,क्या फरक पड़ता है! जिसे पड़ता हो,पड़ें,अपन को क्या!

जय राम जी की।

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