78 ताज़, तबस्सुम ,तकरीर की बातें की जाएं।
जलाके मोतियों के महल वे बन जायेंगे नज़ीर।
दश्त-ए-ख़ामोश पूरा हिंदुस्तान हो चुका है।
चाहते हो सूरज ही आए जगाने के लिए तुम्हें।
अंग छलनी कर बात करते हो दिल में रहने की।
कत्ल करके मरहम लगाने वालों गुमगश्तों।
हर बार चुनाव जीतकर वे बिल में घुस जातें हैं।
वे कहते हैं ख़ुद को अहद-ए-वफ़ा असमर्थ।
ताज़, तबस्सुम ,तकरीर की बातें की जाएं।
चलो वतन- ए- तस्वीर की बातें की जाएं।।
जलाके मोतियों के महल वे बन जायेंगे नज़ीर।
उन्हीं झोला वाले फ़कीर की बातें की जाएं।।
दश्त-ए-ख़ामोश पूरा हिंदुस्तान हो चुका है।
आज आवाज़-ए-अंदलीब की बातें की जाएं।।
चाहते हो सूरज ही आए जगाने के लिए तुम्हें।
सोए अखबार अखबारनवीस की बातें की जाएं।
अंग छलनी कर बात करते हो दिल में रहने की।
तुम्हारे दिए ज़ख्मी शरीर की बातें की जाएं।।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का लाल किले से दिए गए सपनों से भरपूर भाषण
कत्ल करके मरहम लगाने वालों गुमगश्तों।
आओ रहम-ए-क़ातिल की बातें की जाएं।
हर बार चुनाव जीतकर वे बिल में घुस जातें हैं।
हरबार जंतर मंतर के शाहीन की बातें की जाएं।
वे कहते हैं ख़ुद को अहद-ए-वफ़ा असमर्थ।
चलो मोहल्ले के तक्सीम की बातें की जाएं।।
असमर्थ
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