राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद रामलला के मूर्तिकार अरुण योगीराज वापस लौट आए हैं. उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति में आए अंतर को साझा किया है.
उन्होंने बताया कि उन्होंने जो मूर्ति बनवाई थी, गर्भगृह में उसकी प्राण-प्रतिष्ठा के बाद वह बदल गई सी लग रही थी। उन्हें एहसास हुआ कि यह मेरा काम नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि प्रतिमा को उन्होंने महीनों में तैयार किया है. अयोध्या में रहकर पूरी व्यवस्था देखी। अभिषेक के बाद जब उन्होंने गर्भगृह में देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि अंदर जाते ही भगवान बदल गए हैं।
यह मेरा काम नहीं है
अरुण योगीराज ने कहा, मैं 10 दिनों तक वहां था, प्रतिष्ठा मिलने के बाद, सजने-संवरने के बाद, मैं किनारे पर बैठा था. जब मैंने इसे देखा तो मुझे एहसास हुआ कि यह मेरा काम नहीं है. अन्दर जाते ही भगवान बहुत बदल गये। मेरे साथ दो या तीन लोग बैठे थे और मैंने उनसे साझा किया कि यह बहुत अलग लग रहा है। मैं नहीं जानता, यह मेरा काम नहीं हो सकता।
आपको बता दें कि अरुण के स्वागत के लिए बेंगलुरु एयरपोर्ट पर फैन्स की इतनी भीड़ उमड़ी कि पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. एयरपोर्ट टर्मिनल के बाद योगीराज का उनकी पत्नी, बच्चों और परिवार ने स्वागत किया। इसके बाद तुरंत पुलिस टीम ने उन्हें वहां से सुरक्षित बाहर निकाला. आपको बता दें कि अरुण योगीराज रामलला से पहले भी अपने हुनर से कई मशहूर मूर्तियां बना चुके हैं और तारीफें बटोर चुके हैं.
धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं
अयोध्या से पहले अरुण योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनवाई थी, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इसके अलावा उन्होंने मैसूर में हनुमानजी की 21 फीट ऊंची मूर्ति बनाई है। रामलला की मूर्ति बनाने के बाद अरुण योगीराज ने कहा था कि मैं धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं. मेरे पास मेरे पूर्वजों और मेरे परिवार का आशीर्वाद है। रामलला ने मुझ पर सबसे ज्यादा कृपा की है.