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रायपुर में बनेगा आधुनिक बायोगैस संयंत्र

by satat chhattisgarh
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हरित ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की ओर छत्तीसगढ़ ,कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट के लिए त्रिपक्षीय समझौता

छत्तीसगढ़ सरकार ने सतत् और पर्यावरण हितैषी नीति को गति देते हुए एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस दिशा में आज रायपुर नगर पालिक निगम, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण (सीबीडीए) एवं भारत पेट्रोलियम कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (BPCL) के मध्य त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह एग्रीमेंट सतत योजना (SATAT & Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation) के तहत नगरीय ठोस अपशिष्ट से कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन हेतु किया गया है।

यह एग्रीमेंट छत्तीसगढ़ राज्य में सतत ऊर्जा उत्पादन एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ पर्यावरण और सतत विकास को प्राथमिकता दे रही है। सतत् योजना के तहत कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र की स्थापना न केवल अपशिष्ट प्रबंधन में सहायक होगी, बल्कि रोजगार और हरित अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी।
ग्राम रांवाभाटा, रायपुर में प्रस्तावित संयंत्र 100.150 टन प्रतिदिन MSW संसाधित कर बायोगैस का उत्पादन करेगा। इसमें शत-प्रतिशत निवेश भारत पेट्रोलियम कॉर्पाेरेशन लिमिटेड द्वारा किया जाएगा, जिसकी लागत लगभग 100 करोड़ रुपए की होगी। संयंत्र के माध्यम से रायपुर सहित आसपास के नगरीय निकायों से लगभग 150 टन प्रतिदिन ठोस अपशिष्ट का उपयोग किया जाएगा।

इस संयंत्र से जुड़ी प्रमुख विशेषताएं

रोजगार सृजन – संयंत्र के संचालन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 30 हजार मानव दिवस प्रति वर्ष रोजगार सृजित होंगे। पर्यावरणीय लाभ संयंत्र के संचालन से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी तथा राज्य Net Zero Emission लक्ष्य की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ेगा। आय और राजस्व पूर्ण क्षमता पर कार्यरत संयंत्र से राज्य को प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ रुपए का जीएसटी प्राप्त होगा। जैविक खेती को बढ़ावा संयंत्र से सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त जैविक खाद का उपयोग जैविक कृषि को प्रोत्साहन देगा। इससे पूर्व 2024 में भिलाई नगर पालिक निगम के साथ त्रिपक्षीय समझौता हो चुका है और 2025 में अंबिकापुर, रायगढ़, कोरबा, राजनांदगांव धमतरी एवं बिलासपुर में कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र हेतु एमओयू निष्पादित किया गया है।
आज हुए एग्रीमेंट हस्ताक्षर कार्यक्रम में रायपुर कलेक्टर श्री गौरव कुमार, सीबीडीए के सीईओ श्री सुमित सरकार, बीपीसीएल बायोफ्यूल्स प्रमुख श्री अनिल कुमार पी, नगर निगम रायपुर कमिश्नर श्री विश्वदीप समेत भारत पेट्रोलियम कॉर्पाेरेशन लिमिटेड और सीबीडीए के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

बायोगैस संयंत्र (Biogas Plant) के लाभ हैं

यह न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में ऊर्जा, कृषि और स्वच्छता की समस्याओं का समाधान भी प्रदान करता है। नीचे बायोगैस संयंत्र के प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

1. स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत

  • बायोगैस संयंत्र गोबर, कृषि अवशेष, रसोई का कचरा आदि से गैस बनाता है, जो खाना पकाने, बिजली उत्पादन और वाहन ईंधन के रूप में इस्तेमाल हो सकती है।

  • यह कोयला, लकड़ी और एलपीजी का पर्यावरणीय विकल्प है।

2. प्रदूषण में कमी

  • जैविक कचरे का प्रबंधन हो जाता है और खुले में सड़ने से होने वाले गंध व प्रदूषण से बचाव होता है।

  • मीथेन गैस वातावरण में न जाकर उपयोग में आ जाती है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों में भी कमी आती है।

3. जैविक खाद का उत्पादन

  • बायोगैस संयंत्र से निकलने वाला अवशेष (स्लरी) उत्कृष्ट जैविक खाद होता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है।

  • रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है।

4. स्वास्थ्य लाभ

  • चूल्हे में जलने वाले धुएँ से मुक्ति मिलती है, जिससे महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

5. आर्थिक लाभ

  • गैस व बिजली की खरीद पर खर्च कम होता है।

  • अतिरिक्त बायोगैस को बेचकर आय अर्जित की जा सकती है।

  • बायोगैस से चालित जनरेटर या वाहन चलाकर भी आय के स्रोत बढ़ सकते हैं।

6. ग्रामीण विकास को बढ़ावा

  • गाँवों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता आती है।

  • रोजगार के अवसर सृजित होते हैं: जैसे संयंत्र का संचालन, खाद का वितरण आदि।

7. जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में सहायक

  • बायोगैस संयंत्र कार्बन उत्सर्जन को कम करके जलवायु संकट से निपटने में मदद करता है।

बायोगैस संयंत्र की कार्य प्रणाली (Step-by-step प्रक्रिया)

biogas plant

नलेट टैंक (Inlet Tank)

  1. – इसमें गोबर, पानी और जैविक कचरा मिलाकर मिश्रण बनाया जाता है।

  2. डायजेस्टर टैंक (Digester Tank)
    – यह एक वायुरुद्ध (airtight) टैंक होता है जहाँ यह मिश्रण कुछ दिनों तक सड़ता है।
    – इसमें सूक्ष्मजीव (bacteria) कार्य करते हैं और मीथेन गैस बनती है।

  3. गैस चैंबर / गैस डोम (Gas Chamber/Dome)
    – बनी हुई गैस ऊपर के हिस्से में एकत्र होती है।

  4. गैस पाइपलाइन
    – इस गैस को पाइप से रसोई या अन्य उपकरणों तक पहुँचाया जाता है।

  5. आउटलेट टैंक (Outlet Tank)
    – सड़ने के बाद जो बचा हुआ तरल बाहर आता है, उसे स्लरी (slurry) कहते हैं जो एक अच्छी जैविक खाद होती है।

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