चलो दिया जलाएं दीपावली मनाएं
दीपावली हिंदुओं और हिंदुस्तान का सबसे बड़ा त्यौहार है। दीपावली के संबंध में पूर्व में दो महान शायरों के वक्तव्य है आप तक पहुंचा रहे है।
नज़ीर अकबराबादी के शब्दों में
हर एक मौकों में जला फिर दिया दीवाली का।
हर एक तरफ को उजाला हुआ दीवाली का ।
सभी के दिल में समां भा गया दीवाली का ।
किसी के दिल में मजा खुश लगा दीवाली का।
अजब बहार का है दिन बना दीवाली का ।
फ़िराक गोरखपुरी के शब्दों में
लाखों नयन-दीप जलते हैं, तेरे मनाने को इस रात
ऐ किस्मत की रूठी रानी, दीवाली के दीप जले।
ख़ुशहाली है शर्ते जिंदगी, फिर क्यों दुनिया कहती है
धन-दौलत है आनी-जानी, दीवाली के दीप जले।
बरस-बरस के दिन भी कोई, अशुभ बात करता है सखी
आंखों ने मेरी एक न मानी, दीवाली के दीप जले।
छेड़ के साजे निशाते चिरागां आज फ़िराक सुनाता है
गम की कथा ख़ुशी की जबानी, दीवाली के दीप जले।
ममता इंगले
खुशियों की हुई आबादी,
अंधियार अब उजड़ते हैं,
देखो ये दीप जलते हैं ।
हर घर का है आंगन महका,
चेहरों से उल्लास टपकते है,
देखो ये दीप जलते हैं ।
मिठाईयों की खुशबू सौधी
पटाखे देख बच्चे मचलते है
देखो ये दीप जलते हैं ।
ऊँचे भवनों मे खुशी करते,
झोपड़ी में भी हँसी भरते हैं,
देखो ये दीप जलते हैं ।
कुछ करते अपव्यय धन का,
कुछ अभाव से मुँह तकते हैं,
देखो ये दीप जलते हैं ।
लेकर आयें पर्व खुशी, समता,
हम यही प्रार्थना करतें हैं,
देखो ये दीप जलते हैं ।
featured image Awdhesh Bajpai