CG NEWS : छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार आने के बाद सीएम विष्णुदेव ने मीसा बंदियों की पेंशन फिर से शुरू करने का ऐलान किया था. इसी कड़ी में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान बंद की गई मीसाबंदियों की पेंशन फिर से शुरू की जा रही है. राज्य सरकार ने पिछले 5 साल से रुकी हुई पेंशन भी एकमुश्त देने का फैसला किया है. इसके तहत संबंधित जिलों को लगभग 35 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं.
किसे कहते हैं? मीसा बंदी
मीसा यानी मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में देश में आपातकाल लगाया गया था. इस दौरान गैर-कांग्रेसी नेताओं और आपातकाल का विरोध करने वालों को जबरन जेल में डाल दिया गया। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के दौरान इन मीसाबंदियों को ‘लोकतंत्र सेनानी’ नाम देते हुए जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के तहत पेंशन शुरू की गई है, जिसका लाभ इन्हें जल्द मिलेगा।
रमन सरकार के समय पेंशन शुरू की गई थी
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की सरकार में मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत की गई थी. लेकिन 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आते ही मीसा बंदियों की पेंशन बंद कर दी गई. प्रदेश में भाजपा सरकार दोबारा बनने के बाद इस योजना को रद्द करने वाली कांग्रेस सरकार की दोनों अधिसूचनाएं रद्द कर दी गई हैं।
कितने मीसा बंदी?
आपको बता दें कि मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानी कहा जाता है और छत्तीसगढ़ में 2018 तक 430 लोकतंत्र सेनानियों/आश्रितों को हर साल करीब 9 करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी जाती थी. नियम के तहत एक माह से कम समय तक जेल में निरुद्ध व्यक्तियों को 8,000 रुपये प्रति माह, एक से पांच माह तक निरुद्ध व्यक्तियों को 15,000 रुपये प्रति माह तथा पांच माह या इससे अधिक समय तक निरुद्ध व्यक्तियों को 25,000 रुपये प्रति माह दिये जा रहे हैं. . था।
आपको बता दें कि भारत में घोषित आपातकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में राजनीतिक या सामाजिक कारणों से मीसा/डीआईआर के तहत जेल में निरुद्ध व्यक्तियों को सम्मान राशि प्रदान करने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम-2008 बनाया गया था.