उमर मुख़्तार
क्या हो गया है तुम्हारे अरबी घोड़ों को?
सुना था तुम्हारी आधी ताक़त तुम्हारे अरबी घोड़े से थी.
रेतीले युद्ध के मैदान में बिजली सा भागता हुआ
दुश्मन को नेस्तनाबूत कर देता था.
आज तुम्हारे वही अरबी घोड़े निस्तेज क्यों हैं?
लकवा क्यों मार गया है उन सबको?
कहीं उन्होंने दुश्मन से कोई गुप्त
संधि तो नहीं कर ली?
या फिर जा मिले हैं दुश्मन की क़तार में.
पिद्दी और पिद्दी के शोरबे बेशक न दें
समर्थन!
क्या फ़र्क पड़ता है?
इनकी नीयत पहले ही जग जाहिर है.
पर उमर मुख़्तार
तुम्हारे इन अरब लड़ाकों को क्या हो गया है
उमर मुख़्तार हमें पता है के
अस्सी की उम्र में भी तुम दुश्मन से लड़ने से
कभी बाज़ नहीं आए!
नहीं किया कोई समझौता, कोई समर्पण!
उमर मुख़्तार
क्या हो गया है तुम्हारे अरबी घोड़ों को?
तो तुम्हारे इन वंशजों को क्या हो गया है?
इनसे हमें उम्मीदें थीं बेशुमार.
ऐसे कोई करता है भला!
इन्होंने तुम्हारी संतातियों को
हत्यारों के लिए चारा बना कर छोड़ दिया है.
आख़िर अमेरिका से वफ़ादारी का ऐसा कौन सा वादा है?
जिसके कारण नन्हे बच्चों की हज़ारों क़ब्रें देख
उनका ख़ून नहीं खौलता?
या फिर नहीं आ रही छन कर भी उनकी लड़ाई की
खबरें?
आख़िर कुछ तो होंगे जो दुश्मन से लड़ रहे होंगे.
उमर मुख़्तार कुछ तो कहो
मलबे में दबे बच्चों की चीखें
अब बर्दाश्त नहीं होती!
नहीं! नहीं! शायद मैं ग़लत हूं.
लकवा तो मार गया है अरबी शासकों को केवल.
कठपुतलियां हैं सारे के सारे
उनके इशारों पर नाचने वाले.
तो फिर
ऐसा करो उमर मुख़्तार
अपने लड़ाकू घोड़ों को बांट तो बहादुर जनता में.
कहो के अब मोर्चा वे संभालें.
तुम्हारा साहस फीनिक्स पक्षी है
जनता के बीच ज़िंदा हो जायेगा निश्चित!
उमर मुख़्तार कोई तो होगा
तुम्हारा असली वारिस?
असली लड़ाका
कह दो उससे जाकर
नेतन्याहू के मुंह पर थूक कर आए!
फिर अपने घोड़े का रुख़ मोड़ दे
बाइडेन की ओर…
Amita sheereen