Organic farmer : भारतीय कृषि को वैश्विक फलक पर प्रतिष्ठा दिलाने वाले बस्तर के गौरव, प्रख्यात जैविक कृषक, नवाचारधर्मी विचारक और ‘कृषि जागरण’ द्वारा आयोजित मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवॉर्ड्स (MFOI) के ब्रांड एम्बेसडर डॉ. राजाराम त्रिपाठी आज जब रूस की ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होने से पूर्व ‘कृषि जागरण’ के मुख्यालय पहुँचे, तो वहाँ का दृश्य एक आत्मीय, प्रेरणादायक और राष्ट्रीय गौरव से भरा हुआ था।
इस अवसर पर ‘कृषि जागरण’ के संस्थापक एवं प्रधान संपादक श्री एम.सी. डोमिनिक ने उन्हें एक हरित पौधा भेंटकर सम्मानित किया और संपूर्ण टीम ने उनका सजीव स्वागत करते हुए रूस यात्रा हेतु हृदयपूर्वक शुभकामनाएं अर्पित कीं। इस विशेष अवसर पर ‘कृषि पत्रकार महासंघ’ Agriculture Journalist Association के पत्रकार साथियों ने भी डॉ. त्रिपाठी को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं और इस ऐतिहासिक यात्रा को भारत की कृषि कूटनीति के लिए मील का पत्थर बताया।
डॉ. त्रिपाठी 29 जुलाई से 7 अगस्त 2025 तक रूस की राजधानी मॉस्को एवं सेंट पीटर्सबर्ग की यात्रा पर रहेंगे, जहाँ उन्हें रूस की प्रतिष्ठित संस्था इंटरनेशनल बिज़नेस एलायंस (IBA) द्वारा भारत-रूस कृषि सहयोग के भविष्य को लेकर विशेष बैठक में आमंत्रित किया गया है। संस्था के अध्यक्ष द्वारा भेजे गए औपचारिक आमंत्रण पत्र में उन्हें “एग्रीकल्चरल कोऑपरेशन, ऑर्गेनिक एक्सचेंज और इनोवेशन एलायंस” के विशेष भारतीय प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
रूस यात्रा के दौरान डॉ. त्रिपाठी रूस के प्रमुख कृषि विशेषज्ञों, जैविक उद्यमियों और निर्यात संगठनों के साथ संवाद करेंगे और दोनों देशों के बीच टिकाऊ खेती, आयुर्वेदिक एवं औषधीय उत्पादों के निर्यात, तथा नवाचार-आधारित सहयोग को लेकर दीर्घकालिक रणनीतियाँ तैयार की जाएंगी।
यह गौरवमयी क्षण इस बात का प्रमाण है कि भारत की पारंपरिक कृषि, औषधीय पौधों और जैविक उत्पादों की शक्ति को विश्व अब गंभीरता से देख रहा है। और जब यह प्रतिनिधित्व बस्तर की मिट्टी से उठकर विश्वमंच पर पहुँचता है, तो यह केवल डॉ. त्रिपाठी का नहीं, बल्कि भारत के किसानों, हमारी माटी और परंपरा का गौरव होता है।
इस अवसर पर डॉ. त्रिपाठी ने कहा —
“कृषि भारत की आत्मा रही है। यदि हम वैज्ञानिक सोच, परंपरागत ज्ञान और नवाचार को साथ लेकर चलें, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि वैश्विक कृषि नेतृत्व में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है।”
ज्ञात हो कि डॉ. त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल से भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म ‘माँ दंतेश्वरी हर्बल फार्म’ के संस्थापक हैं। उनकी शोध से विकसित काली मिर्च की MDBP-16 प्रजाति ने उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों में वैश्विक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनके फार्म को सफेद मूसली की गुणवत्ता और निर्यात क्षमता में भी वैश्विक मान्यता प्राप्त है।
यही नहीं, हाल ही में ब्राज़ील सरकार द्वारा भी उन्हें कृषि अध्ययन हेतु आमंत्रित किया गया था, और अब रूस का यह निमंत्रण स्पष्ट संकेत है कि भारत के कृषि नवाचार और पारंपरिक ज्ञान का वैश्विक महत्व निरंतर बढ़ रहा है।
डॉ. त्रिपाठी सात बार केंद्रीय कृषि मंत्रियों द्वारा राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित हो चुके हैं। उनकी विशेष ‘बिटर-फ्री’ स्टीविया प्रजाति, आदिवासी अंचलों में आयुर्वेदिक नवाचार, तथा जैविक कृषि के क्षेत्र में उनका व्यापक योगदान उन्हें देश के सबसे विशिष्ट और विश्वसनीय कृषक नेताओं की पंक्ति में स्थापित करता है।
‘कृषि जागरण’ की यह विशेष पहल, जिसके अंतर्गत रूस के शीर्ष कृषि विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं से संवाद आयोजित हो रहा है, निश्चित ही भारत-रूस कृषि सहयोग को नए आयाम देने वाला ऐतिहासिक अध्याय सिद्ध होगा।
‘कृषि जागरण’ परिवार और समस्त कृषि समुदाय की ओर से डॉ. त्रिपाठी को इस विशिष्ट और ऐतिहासिक यात्रा के लिए हार्दिक शुभकामनाएं एवं अभिनंदन। यह यात्रा बस्तर से वैश्विक मंच तक भारतीय कृषि की गौरवपूर्ण पदचाप होगी।
(“कृषि पत्रकार महासंघ (AJAY) तथा कृषि जागरण समूह के संस्थापक एमसी डोमिनिक ने भारतीय जैविक कृषि के पुरोधा डॉ. राजाराम त्रिपाठी की रुस यात्रा पर दी शुभकामनाएं”)