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आओ
बहुत दूर से आ रही हो तुम
तुम्हारी देह थककर चूर हो गई है
तुम्हारी हथेलियाँ खुरदरी हो गई हैं
आओ, उन पर टोरा तेल की मालिश कर दूँ
आओ, ज़रा यहाँ बैठो, मेरे करीब आकर
तुम्हारे पैरों में छालों के घाव बन गए हैं
उन पर भेलवा तेल लगा दूँ
बाँस की टोकरी उतार कर रख दो थोड़ी देर यहाँ
गौर से देखो अपना चेहरा, अपनी आँखें
तुम्हारी फटी एड़ियों पर नीम के पत्तों का लेप लगा दूँ
तुम्हारे उलझे बालों को सुलझा दूँ
तुम कहो कुछ मुझसे
मैं कहूँ कुछ तुमसे
कहने-सुनने से जीवन का दुःख
शर्माने लगता है।