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मैंने उसको देखकर प्रेम किया था – कविता

by satat chhattisgarh
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मैंने उसको देखकर प्रेम किया था
उसके धर्म को नहीं
उसने भी सिर्फ मुझे देखा था
जब हम प्रेम में थे हमें कुछ याद नहीं था
हम ईश्वर को भी भूला बैठे थे

मैं उसके साथ रहती हूँ
भूख लगती है मगर
उसको भी मुझको भी
धर्म ने कभी नहीं भरा हमारा पेट
न किसी अख़बार के संपादक ने
ग़ौरो फिक्र की हमारी

मिट्टी और मनुष्य- कविता

जैसे सब आदमी श्रम करते हैं
अपना चूल्हा जलाने के लिए
अपना घर चलाने के लिए
हम भी रोज़ काम पर जाते हैं
श्रमिक तो हम पहले भी थे
आज भी हैं और कल भी रहेंगे

अगर उसका दिल मुझसे भर जाए
वो मुझे मार डाले
तो बराए मेहरबानी संपादक जी
समाचार की हैडलाइन
धर्म और नाम देखकर मत लिखना
मेरे जनाजे पर अपनी रोटी मत सेंकना
आप यूँ लिख देना हैडलाइन
“अनबन होने पर, श्रमिक ने श्रमिक की, हत्या की”

हर तरफ धुआं है – ‘धूमिल’की कविता

आपके अख़बार और चैनलों में
समाचारों की हैडलाइन
आदमी का धर्म देखकर लिखी जाती हैं
दंगों को छोड़कर
कभी औरत की हत्या और बलात्कार
धर्म देखकर नहीं किये जाते
मगर
हत्यारे और बलात्कारी हैडलाइन में लिखित
धर्म देखकर रियाह और क़ैद किये जाते हैं

जैसे प्रेमी ईश्वर को भूल जाते हैं
हत्यारे भगवान को भूल जाते हैं
बलात्कारी अल्लाह को भूल जाते हैं
बराए मेहरबानी संपादक जी
आप भी हैडलाइन लिखते समय
ईश्वर भगवान अल्लाह को भूल जाया कीजिए !!

मेहजबीं

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